नई दिल्ली। मोदी सरकार ने पिछले एक साल की जांच के बाद ढाई लाख से अधिक अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिया है। इसमें छत्तीसगढ़ के 2249 अखबार भी शामिल हैं। इसी के साथ सैंकड़ों अखबारों को डीएवीपी की सूची से बाहर कर दिया है।

प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम को पुरानी सारी गड़बड़ी की जांच के भी निर्देश दिए हैं। इसमें अपात्र अखबारों और मैंगजीन को सरकारी विज्ञापन देने की शिकायतों की जांच भी शामिल है। इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर रिकवरी और कानूनी कार्रवाई के निर्देश भी हैं। इसके चलते मीडियाजगत में हड़कंप है।

मोदी सरकार द्वारा सख्ती के इशारे के बाद आरएनआई यानि समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय और डीएवीपी यानि विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय काफी सख्त हो चुके हैं। समाचार पत्र के संचालन में जरा भी नियमों को नजरअंदाज किया गया तो आरएनआई समाचार पत्र के टाईटल पर रोक लगाने को तत्पर हो जा रहा है। उधर, डीएवीपी विज्ञापन देने पर प्रतिबंध लगा दे रहा है। देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब लगभग 269,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए गए और 804 अखबारों को डीएवीपी ने अपनी विज्ञापन सूची से बाहर निकाल दिया है।

पिछले काफी समय से मोदी सरकार ने समाचार पत्रों की धांधलियों को रोकने के लिए सख्ती की है। आरएनआई ने समाचार पत्रों के टाइटल की समीक्षा शुरू कर दिया है। समीक्षा में समाचार पत्रों की विसंगतियां सामने आने पर प्रथम चरण में आरएनआई ने प्रिवेंशन ऑफ प्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत देश के 269,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए। इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के अखबार-मैग्जीन (संख्या 59703) और फिर उत्तर प्रदेश के अखबार-मैग्जीन (संख्या 36822) हैं।

कहां कितने टाइटिल निरस्त हुए हैं, देखें लिस्ट

  • बिहार 4796
  • उत्तराखंड 1860
  • गुजरात 11970
  • हरियाणा 5613
  • हिमाचल प्रदेश 1055
  • छत्तीसगढ़ 2249
  • झारखंड 478
  • कर्नाटक 23931
  • केरल 15754
  • गोआ 655
  • मध्य प्रदेश 21371
  • मणिपुर 790
  • मेघालय 173
  • मिजोरम 872
  • नागालैंड 49
  • उड़ीसा 7649
  • पंजाब 7457
  • चंडीगढ़ 1560
  • राजस्थान 12591
  • सिक्किम 108
  • तमिलनाडु 16001
  • त्रिपुरा 230
  • पश्चिम बंगाल 16579
  • अरुणाचल प्रदेश 52
  • असम 1854
  • लक्षद्वीप 6
  • दिल्ली 3170
  • पुडुचेरी 523

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