टीआरपी डेस्क। तमिलनाडु में राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी यानि एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड व्यवस्था” को लागू करने वाला 11वां राज्य बन गया है। आपको बता दें कि वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना (one nation one ration card) का मुख्य मकसद यह है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का फायदा प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों को मिलता रहे।

इस योजना के तहत अपने राशन कार्ड पर आप देश के किसी भी राज्य में अपना तय राशन ले सकते हैं। इसके अलावा बोगस, डुप्लीकेट या अयोग्य राशनकार्ड (Fake Ration Card) को सिस्टम से हटाना भी सरकार का लक्ष्‍य है।

क्या है राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी

जिस तरह मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) करते हैं, वैसे ही अब राशन कार्ड भी पोर्ट कराया जा सकेगा। मोबाइल पोर्ट में आपका नंबर नहीं बदलता है और आप देशभर में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसी तरह, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी में आपका राशन कार्ड नहीं बदलेगा। मतलब ये कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं तो अपने राशन कार्ड का इस्तेमाल करके दूसरे राज्य से भी सरकारी राशन खरीद सकते हैं। अहम बात ये है कि इसके लिए किसी नए राशन कार्ड की जरूरत नहीं होगी।

इन राज्यों में मिल रहा है इस स्कीम का फायदा

तमिलनाडु समेत 10 राज्यों आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश इस सूची में शामिल हो गया है। जिन्होंने इस सुधार को लागू कर दिया है। इन 11 राज्यों को व्यय विभाग द्वारा अतिरिक्त 30,709 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने की अनुमति मिल गई है।

अतिरिक्त उधारी का राज्यवार विवरण

आंध्र प्रदेश 2,525 करोड़ रुपये, गोवा 223 करोड़ रुपये, गुजरात 4,352 करोड़ रुपये, हरियाणा 2,146 करोड़ रुपये, कर्नाटक 4,509 करोड़ रुपये, केरल 2,261 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश 2,373 करोड़ रुपये, तमिलनाडु 4,813 करोड़ रुपये, तेलंगाना 2,508 करोड़ रुपये, त्रिपुरा 148 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश 4,851 करोड़ रुपये।

कौन उठा सकता है इस स्कीम का फायदा

‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड व्यवस्था’ एक महत्वपूर्ण नागरिक केन्द्रित सुधार है। यह सुधार प्रवासी जनसंख्या जिसमें ज्यादातर कामगार होते हैं, दिहाड़ी मजदूर, कूड़ा बीनने वाले जैसे शहरी गरीब, सड़क पर रहने वाले, संगठित और असंगठित क्षेत्रों के अस्थायी कामगार, घरेलू कामगार आदि को सशक्त बनाता है, जो खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनने के लिए नियमित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं।

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