टीआरपी डेस्क। पूरा भारत वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के रूप में मनाता है। नेताजी भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में गिने जाते हैं, जिनसे हर दौर के युवा वर्ग प्रेरित होते है। नेताजी के ”तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”, ‘जय हिन्द’, ‘दिल्ली चलो’ जैसे नारों ने आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा दी। बाद में उनका नारा ‘जय हिन्द’ भारत का राष्ट्रीय नारा बना।

जानिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें :-
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था। उन्होंने 1920 में इंग्लैंड में सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। फिर कुछ दिनों बाद ही देश की आजादी के लिए इस्तीफा दे दिया।
- इसके बाद 1920 और 1930 वह इंडियन नेशनल कांग्रेस के युवा और कट्टरपंथी नेताओं में गिने जाने लगे। 1938 और 1939 के दौरान नेताजी इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनें।
- 1921 से 1941 के दौरान नेताजी देश की आज़ादी के लिए कई बार जेल गए। साथ ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ, जर्मनी, जापान जैसे देशों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ फौज तैयार की। जिसका नाम नेताजी ने आजाद हिंद फौज रखा।
- जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने नेताजी को इस कदर विचलित कर दिया की वह भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। नेताजी का मानना था कि हिंसक प्रयास के बिना भारत को आजादी नहीं मिल सकती।
- 18 अगस्त 1945 को एक विमान हादसे में भारत के वीर पुत्र की रहस्यमयी ढंग से मृत्यु हो गयी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत आज भी लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
जीवन के विभिन्न पहलुओं पर नेताजी के 10 प्रेरणा दायक अनमोल विचार :-
- “चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है। “
- “मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हम जीवित रहेंगे या नहीं ! परन्तु में यह जानता हूँ, अंत में विजय हमारी ही होगी।”
- “राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है।
- “यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना।”
- “अगर संघर्ष न रहे ,किसी भी भय का सामना न करना पड़े ,तब जीवन का आधा
स्वाद ही समाप्त हो जाता है। “ - “हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का
स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं।” - “याद रखें अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना सबसे बड़ा
अपराध है। - “एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत
होती है। “ - “हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते है। “
- “श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है। “
अब ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाई जाएगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती :-
हाल ही मैं केंद्र सरकार ने यह घोषणा की है कि हर साल सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जायेगा। साथ ही भारतीय रेलवे ने भी नेताजी की जयंती पर ‘हावड़ा- कालका एक्सप्रेस’ का नाम बदलकर ‘नेताजी एक्सप्रेस’ रखा है।
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