टीआरपी डेस्क। महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय ( Lala Lajpat Rai ) की आज जन्म जयंती है। लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब (Punjab) के मोंगा जिले में हुआ था और 17 नवंबर, 1928 को उनका निधन हो गया।

लाला लाजपत राय के पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद उर्दू के अध्यापक थे। लाला लाजपत राय बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। 1880 में इन्होंने कलकत्ता और पंजाब यूनिवर्सिटी की एंट्रेस परीक्षा एक ही वर्ष में पास की। 1882 में इन्होंने एफए की परीक्षा पास की। इसके बाद वकालत की डिग्री लेकर प्रैक्टिस करने लगे। इसी दौरान वो आर्य समाज के सम्पर्क में आए और उसके सदस्य बन गए। 1885 में कांग्रेस की स्थापना के वक्त से ही लाला लाजपत राय इसमें प्रमुख स्थान रखते थे।

राजनेता, लेखक और फिर वकील..ऐसे थे महान स्वतंत्रता सेनानी

लाला लाजपत राय ने एक राजनेता, लेखक और वकील के तौर पर देश के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया था। आर्य समाज से प्रभावित लाला लाजपत राय ने पूरे देश में इसका प्रचार प्रसार किया। उनके अच्छे कामों की वजह से पंजाब ने उन्हें पंजाब केसरी की उपाधि दी थी।

लाला लाजपत राय के अनमोल वचन

  • अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जब तक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्माण के लिए कार्य न किया जाए।
  • नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो, जो अपने अनुयायियों से सदैव आगे रहता हो, जो साहसी और निर्भीक हो।
  • पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ शांतिपूर्ण साधनों से उद्देश्य पूरा करने के प्रयास को ही अहिंसा कहते हैं।
  • पराजय और असफलता कभी-कभी विजय की ओर जरूरी कदम होते हैं।
  • जो अमोघ और अधिकतम राष्ट्रीय शिक्षा लाभकारी राष्ट्रीय निवेश है, राष्ट्र की सुरक्षा के लिए उतनी ही आवश्यक है जितनी भौतिक प्रतिरक्षा के लिए सैन्य व्यवस्था।
  • ऐसा कोई भी श्रम रूप अपयशकर नहीं है, जो सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक हो और समाज को जिसकी आवश्यकता हो।
  • राजनीतिक प्रभुत्व आर्थिक शोषण की ओर ले जाता है। आर्थिक शोषण पीड़ा, बीमारी और गंदगी की ओर ले जाता है और ये चीजें धरती के विनीततम लोगों को सक्रिय या निष्क्रिय बगावत की ओर धकेलती हैं और जनता में आजादी की चाह पैदा करती हैं।

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