रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने सेंट्रल पूल में चावल जमा करने की मात्रा 24 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 40 लाख मीट्रिक टन करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री ने लिखा, केंद्र सरकार की खाद्य सचिवों की बैठक में छत्तीसगढ़ के लिए 60 लाख मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पूल में लिये जाने की सैद्धांतिक सहमति मिली थी। ऐसा होता तो करीब 89 लाख मीट्रिक टन धान का इस्तेमाल हो जाता। लेकिन केंद्रीय खाद्य विभाग ने भारतीय खाद्य निगम में सेंट्रल पूल के तहत केवल 24 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की ही अनुमति दी है।

मुख्यमंत्री ने बताया, राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए 20 लाख मीट्रिक टन चावल की आवश्यकता होगी। इसके अलावा राज्य का नागरिक आपूर्ति निगम करीब 3 लाख मीट्रिक टन चावल का स्टॉक रखेगा। इस तरह सेंट्रल पूल और राज्य के PDS को मिलाकर 47 लाख मीट्रिक टन चावल ही खप पाएगा। इसके लिए मात्र 70.50 लाख मीट्रिक टन धान लगेगा।

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय खाद्य मंत्री को केंद्र और राज्य सरकार के बीच अनाज खरीदी के लिए हुए MOU का स्मरण कराया है। उन्होंने लिखा, MOU की धारा 18 के तहत उपार्जित धान में से राज्य की PDS की आवश्यकता के अतिरिक्त चावल का स्टॉक भारतीय खाद्य निगम को देने के निर्देश हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को अविलंब 40 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति जारी करनी चाहिए।

राज्य सरकार पर आएगा 2500 करोड़ का भार

मुख्यमंत्री ने लिखा है, अगर केंद्र सरकार ने चावल जमा करने की अनुमति नहीं दी तो राज्य सरकार को बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। इस अतिरिक्त बचे धान के निराकरण में लगभग 2500 करोड़ रुपए की आर्थिक हानि संभावित है। यह राज्य सरकार को वहन करनी पड़ेगी।

न्याय योजना पर भी दिया स्पष्टीकरण

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना पर भी स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने लिखा, राज्य सरकार ने धान खरीदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त किसी भी प्रकार के बोनस भुगतान की घोषणा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से नहीं की है। केंद्र सरकार ने पहले भी राज्य में चल रही “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” के संबंध में जानकारी मांगी थी। छत्तीसगढ़ के खाद्य विभाग ने वह जानकारी भी केंद्र सरकार को भेज दिया है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश में खरीफ विपणन सीजन में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान का उपार्जन विकेन्द्रीकृत उपार्जन योजना के अंतर्गत खाद्य विभाग भारत सरकार के साथ हुए एम.ओ.यू. के तहत की जाती है । प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में 28 जनवरी, 2021 की स्थिति में विकेन्द्रीकृत उपार्जन योजनांतर्गत समर्थन मूल्य पर 20.29 लाख किसानों से 90 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है एवं धान खरीदी का कार्य दिनांक 31 जनवरी, 2021 तक किया जावेगा ।

समर्थन मूल्य पर उपार्जन उपरांत धान खरीदी केन्द्रों एवं संग्रहण केन्द्रों में खुले में रखा हुआ है । धान लंबी अवधि तक खुले में अनिराकृत स्थिति में रखे होने पर धान की गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है ।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर…