नई दिल्ली। Foreign Exchange Reserves India देश का विदेशी मुद्रा भंडार 29 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान 4.85 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 590.18 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले 22 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 1.09 अरब डॉलर बढ़कर 585.33 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया था।


आंकड़ों के मुताबिक 29 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान मुद्रा भंडार में बड़ा इजाफा विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) के रूप में हुआ, जिसकी कुल भंडार में एक बड़ी हिस्सेदारी है। आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक एफसीए 5.03 अरब डॉलर बढ़ाकर 547.22 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।

यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के बड़े फायदे

साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।


अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।