यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व CJI रंजन गोगोई को मिली राहत
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टीआरपी डेस्क। सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के पूर्व पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को कथित यौन उत्पीड़न मामले में फंसाने की साजिश की जांच के लिए स्वत: संज्ञान के आधार पर शुरू की गई जांच प्रक्रिया बंद कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को बताया कि उसके पूर्व जज जस्टिस ए के पटनायक की तरफ से की गई जांच किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। इस मामले को दो साल गुजर चुके हैं और जस्टिस गोगोई को फंसाने की साजिश की जांच में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत कम रह गई है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर मामला बंद किया जा रहा है।

सबूत उपलब्ध न होने पर साबित नहीं हो सके आरोप

गुरूवार को यह मामला जस्टिस संजय किशन कौल, ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम के सामने लगा। बेंच के अध्यक्ष जस्टिस कौल ने बताया कि कमिटी की जांच किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है। कमिटी ने उत्सव बैंस के आरोपों को देखा, लेकिन व्हाट्सऐप और टेलीग्राम चैट समेत दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के उपलब्ध न होने के चलते आरोपों को पूरी तरह साबित नहीं किया जा सका।

जस्टिस गोगोई के खिलाफ षड्यंत्र की आशंका

कमिटी की रिपोर्ट में उसे मिली आईबी निदेशक की चिट्ठी का भी ज़िक्र है। इस चिट्ठी में बताया गया था कि एनआरसी समेत कई मामलों में कड़े फैसले ले रहे जस्टिस गोगोई के खिलाफ षड्यंत्र की आशंका थी। कोर्ट की रजिस्ट्री में मौजूद गड़बड़ियों को लेकर तत्कालीन चीफ जस्टिस जिस तरह सख्त थे, उसके चलते भी उनकी खिलाफ साजिश हो सकती थी।

महिला कर्मचारी ने लगाया था यौन उत्पीड़न का आरोप

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह महिला 2018 में जस्टिस गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट पदस्थ थी। महिला का दावा था कि बाद में उसे नौकरी से हटा दिया गया था।

महिला ने अपने हलफनामे की कॉपी 22 जजों को भेजी थी। इसी आधार पर चार वेब पोर्टल्स ने चीफ जस्टिस के बारे में खबर प्रकाशित की। अप्रैल 2019 में मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी।

कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की साजिश

जिसके बाद इस मामले की अंतिम सुनवाई 25 अप्रैल 2019 को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने की थी। तब अदालत ने इसकी जांच करने का फैसला किया था कि यह आरोप CJI और कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं है।

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