गर्भपात
राज्यसभा में गर्भपात की ऊपरी सीमा बढ़ाकर 24 सप्ताह करने के प्रावधान वाला विधेयक पारित

टीआरपी डेस्क। राज्यसभा में मंगलवार को गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020 पारित कर दिया गया। जिसमें गर्भपात की मंजूर सीमा को वर्तमान 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसे व्यापक विचार विमर्श कर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों के अलावा राज्य सरकारों, विभिन्न पक्षों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों के संगठनों से भी इस पर विचार विमर्श किया गया।

आचार समिति के साथ भी चर्चा

उन्होंने कहा कि इस संबंध में चर्चा के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) भी गठित किया गया था। उन्होंने कहा कि आचार समिति के साथ भी चर्चा की गयी, तब जाकर इस विधेयक को आकार दिया गया। उन्होंने कहा कि लोकसभा में भी इस पर विस्तृत चर्चा हुयी थी और इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था।

विधेयक पर हुयी चर्चा में कई सदस्यों ने देश में स्वास्थ्य कर्मियों व सुविधाओं की कमी का जिक्र किया था। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में बढ़ोत्तरीपर जोर दिया गया है।

50 साल पुराने कानून की कमियों को दूर करने का प्रयास

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए 50 साल पुराने कानून की कमियों को दूर करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि गर्भपात के संबंध में विभिन्न देशों के कानूनों का अध्ययन कर इसे तैयार किया गया है।

चर्चा में कई सदस्यों ने कहा था कि इस विधेयक के प्रावधानों से महिलाओं की गरिमा एवं सम्मान पर असर पड़ेगा। इस संदर्भ में हर्षवर्धन ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ऐसा कोई कानून नहीं बनाएगी जो किसी भी तरीके से महिलाओं के खिलाफ हो या उनके लिए अहितकारी हो।

सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से किया पारित

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने सहित अन्य विपक्षी संशोधनों को अस्वीकार कर दिया, वहीं सरकार द्वारा लाए गए संशोधनों को स्वीकार कर लिया।

इससे पूर्व कांग्रेस सहित कई दलों ने विधेयक को गहन चर्चा के लिए प्रवर समिति में भेजने की मांग की और कहा कि प्रभावित पक्षों से भी बातचीत की जानी चाहिए। विपक्ष ने कहा कि बलात्कार जैसे मामलों में गर्भपात को लेकर संवेदनशील व्यवहार किया जाना चाहिए तथा विधेयक के प्रावधानों से महिलाओं को गरिमा और न्याय नहीं मिल सकेगा।

राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग विधेयक पास

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को राज्यसभा में राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग, विधेयक 2020 पेश किया और कहा कि यह विधेयक सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख करने वाले पेशेवरों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

मील का पत्थर साबित होने वाली पहल

विधेयक को पेश करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक को संबंधित संसदीय समिति की मंजूरी मिल चुकी है और इसे 15 सितंबर 2020 को इस सदन में पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि यह मील का पत्थर साबित होने वाली पहल है। इसमें लोगों व स्वास्थ्य संबंधी पेशेवरों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के मामले में भविष्य बदलने की क्षमता है। 

उन्होंने कहा कि चिकित्सकों, नर्सों, दंत चिकित्सकों और फार्मेसिस्ट पर निगरानी के लिए संबंधित नियामक संस्थाएं हैं लेकिन सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख पेशेवरों के लिए अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों की शिक्षा और पेशे को कई देशों ने वैधानिक बनाया है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान ऐसे लोगों की भूमिका का उल्लेख किया और कहा कि ऐसे लोगों की शिक्षा और सेवाओं को उन्नत बनाने के लिए इस कानून की आवश्यकता है।

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