टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ के दुर्ग, बालोद जैसे जिलों से 200 से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को काम से निकाल दिया गया है। यह सभी सरकारी कोविड वार्ड में काम कर रहे थे। इनमें से किसी ने कोविड केयर सेंटर में सफाई तो किसी ने बतौर नर्स और वार्ड ब्वॉय काम किया। मगर अब इन्हें बेरोजगार कर दिया गया है।

जिसके विरोध मे शनिवार को कोरोना संविदा कर्मचारी संगठन के बैनर तले कर्मचारियों ने धरना दिया है। बूढ़ापारा धरना स्थल पर जमा हुए इन कर्मचारियों ने सरकार से पूछा कि एक तरफ तो मंचों पर बुलाकर इनका सम्मान किया गया। अब उन्हें बेरोजगार कर दिया गया। यह कैसा सम्मान है।
किसी ने ली एजुकेशन लोन तो किसी पर है परिवार की जिम्मेदारी
वहीं दुर्ग से आई डिकेश्वरी साहू ने बताया कि जुलाई में हमें नियुक्त किया गया था। 6 महीने काम करवाने के बाद कह दिया कि अब आपकी जरूरत नहीं है। हम पहले से दूसरी जगहों पर मेडिकल स्टाफ का काम कर रहे थे। अब कहीं काम नहीं मिल रहा। अफसर हमसे मिलने, बात करने को तैयार नहीं, जबकि फिर से कोरोना का खतरा बढ़ रहा है। दूसरे लोगों की भर्ती भी हो रही है। सेंटर फिर से बनाए जा रहे हैं और हमें काम से निकाल दिया गया। जनवरी से मार्च तक की सैलरी नहीं मिली है। अधिकारी कह देते हैं फंड नहीं है। किसी ने एजुकेशन लोन ले रखा है तो किसी पर परिवार की जिम्मेदारी है।
जब कोई साथ देने को नहीं था तैयार, तब हमने जोखिम लेकर काम किया
वहीं स्टाफ नर्स का काम करने वाले गंगा राम धीवर ने सरकार से पूछा कि क्या हम यूज एंड थ्रो करने वाली चीज हैं। सरकार हम पर इसी नीति का इस्तेमाल कर रही है। जब जरूरत थी तो काम पर रखा और अब निकाल रहे हैं। फिर से कोविड बढ़ रहा है, तो दूसरे लोगों को काम पर रखा जा रहा है। हम चाहते हैं कि हमें निरंतर रोजगार दिया जाए। जब कोई साथ देने को तैयार नहीं था। तब हमने जान का जोखिम लेकर काम किया, मगर अब हमारे साथ यह व्यवहार किया जा रहा है। पूरे प्रदेश के 4 हजार संविदा कोविड कर्मचारियों पर रोजगार का संकट मंडरा रहा है।
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