कोरोना टीकाकरण
कोरोना टीकाकरण

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण से चिंचित सरकार ने आगामी 1 अप्रैल से 45 और उससे अधिक आयु वर्ग के सभी लोगों को कोरोना टीकाकरण कराने का फैसला लिया है, जिसके लिए किसी भी प्रकार के मेडिकल प्रमाण पत्र दिखाने की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि केंद्र सरकार के निर्देश के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिये। इस दायरे में छत्तीसगढ़ के करीब 58 लाख 66 हजार 600 लोग आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने 23 मार्च की बैठक में 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाये जाने का फैसला किया था। उसके बाद से ही प्रदेश में इसकी विस्तृत गाइडलाइन का इंतजार था।


पिछले दिनों केंद्र सरकार ने टीकाकरण की गाइडलाइन के साथ जिलों का अनुमानित लक्ष्य भी स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणु जी. पिल्लै ने सभी कलेक्टरों के नाम टीकाकरण का आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक एक अप्रैल से 45 वर्ष या उससे अधिक के सभी व्यक्तियों को टीका लगाया जाना है। इसके लिये उनको किसी तरह का मेडिकल प्रमाणपत्र दिखाने की जरूरत नहीं है। टीकाकरण केंद्रों पर केवल फोटोयुक्त पहचानपत्र दिखाना होगा। उसके बाद टीकाकरण हो जाएगा।

बताया गया है कि जिलों में जनसंख्या का 20 प्रतिशत हिस्सा 45 साल या उससे अधिक का माना जा रहा है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में इस श्रेणी में आने वालों की संख्या 58.66 लाख होगी। अकेले रायपुर में यह संख्या 5 लाख 51 हजार 364 है। इस आदेश के साथ ही स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन टीकाकरण की तैयारियों में लग गया है। प्रदेश स्तरीय बैठक में टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर चर्चा जारी है। जिलों से समन्वय कर आज शाम तक टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाने का आदेश जारी हो सकता है। अभी तक 1900 से 2000 केंद्रों पर टीकाकरण हो रहा था। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, अब हमने प्रतिदिन 2 लाख व्यक्तियों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा है जिसमें हम आने वाले दिनों में कम से कम 2 लाख लोगों का वैक्सीनेशन हो सके यह व्यवस्था विभाग द्वारा बनाई जा रही है।

अभी तक 45 वर्ष वालों को देना पड़ रहा था मेडिकल सर्टिफिकेट

एक मार्च से शुरू हुए टीकाकरण के लिये केंद्र सरकार ने 20 बीमारियों की एक सूची जारी की थी। इन बीमारियों से पीड़ित 45 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को कोरोना का टीका लग रहा था। इसके लिये संबंधित व्यक्ति को किसी डॉक्टर से जारी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होता था कि वह सूची में दी गई किसी बीमारी से पीड़ित है।