ब्रेकिंग: राफेल डील में साढ़े 9 करोड़ रुपए की दलाली? फ्रेंच जर्नल के दावे पर कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछे सवाल
ब्रेकिंग: राफेल डील में साढ़े 9 करोड़ रुपए की दलाली? फ्रेंच जर्नल के दावे पर कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछे सवाल

नई दिल्ली। एक फ्रेंच पत्रिका में राफेल डील को लेकर प्रकाशित रिपोर्ट के बाद कांग्रेस पार्टी एक बार फिर मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस डील में एक भारतीय मध्यस्थ को 11 लाख यूरो (करीब 9.48 करोड़ रुपए) की दलाली दी गई।

विमानों की ऊंची कीमतों को लेकर पहले ही सरकार को घेरती आ रही कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार से कई सवाल दागे हैं। विपक्षी पार्टी ने रिश्वत पाने वाले का नाम पूछते हुए निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की है।

मीडियापार्ट में तीन सीरीज वाली रिपोर्ट के पहले हिस्से के प्रकाशन का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा, ”क्या डसॉल्ट की ओर से दिखाया गया 11 लाख यूरो का क्लाइंट को गिफ्ट वास्तव में मध्यस्थ को दी गई दलाली है। दो सरकारों के बीच हुई डील में या भारत में किसी भी रक्षा खरीद में अनिवार्य रक्षा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए मध्यस्थ और कमीशन की मंजूरी की अनुमति कैसे दी जा सकती है?”

यह कहते हुए कि ताजा मीडिया रिपोर्ट ने राफेल डील को दूषित कर दिया है, सुरजेवाला ने पूछा क्या यह डसॉल्ट पर भारी आर्थिक जुर्माना, कंपनी को बैन करने, एफआईआर दर्ज करने और दूसरे दंडीय कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? सुरजेवाला ने आगे पूछा, ”क्या भारत के सबसे बड़े रक्षा सौदे में पूर्ण और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता नहीं है ताकि पता लगाया जा सके कि वास्तव में कितनी रिश्वत और दलाली दी गई और यदि दी गई तो भारत सरकार में किसे? कांग्रेस पार्टी ने यह भी पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर देश को जवाब देंगे?

फ्रेंच रिपोर्ट के मुताबिक, देश की भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी (AFA) को अक्टूबर 2018 में पेमेंट के बारे में पता चला और इसने राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट से सवाल पूछे। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी सवालों के जवाब नहीं दे सकती है। कांग्रेस पार्टी ने एफआईआर, स्वतंत्र जांच और संबंधित कदम उठाने की मांग करते हुए याद दिलाया कि यूपीए सरकार में अगस्ता वेस्टलेंड केस में तब के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया था।

विपक्षी दल ने कहा कि रक्षा खरीद में एक “इंटीग्रिटी क्लॉज” है जो कहता है कि कोई बिचौलिया नहीं हो सकता है और कमीशन या रिश्वत का भुगतान नहीं किया जा सकता है। सुरजेवाला ने कहा, ”मध्यस्थ या दलाली या रिश्वत का कोई सबूत होने के गंभीर नतीजे होंगे। आपूर्ति कर्ता कंपनी को बैन किया जा सकता है, कॉन्ट्रैक्ट कैंसल हो सकता है, एफआईआर दर्ज हो सकती है और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।”

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