लापरवाही के चलते ही बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले, लोगों को दूसरों की क्या अपनी भी चिंता नहीं, धारा 144 का भी नहीं हो रहा है पालन
लापरवाही के चलते ही बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले, लोगों को दूसरों की क्या अपनी भी चिंता नहीं, धारा 144 का भी नहीं हो रहा है पालन

रायपुर। राजधानी रायपुर कोरोना काल में ऐसा शहर बन गया है, जहां कोरोना के बढ़ने की गति देश के 22 राज्यों से भी ज्यादा हो गयी है। क्या इसे उपलब्धि कहा जाये या फिर लापरवाही का जीता जागता नमूना? शहर का कोई भी ऐसा इलाका ऐसा नहीं है। जहाँ के लोग सोशल डिस्टेंसिंग अथवा धारा 144 का गंभीरता से पालन करते नजर आ रहे हों।

देश भर में कोरोना के आंकड़े भयावह होते जा रहे हैं। ऐसा ही हाल रायपुर का भी है, जहां हर रोज कोरोना के आंकड़ों का नया रिकॉर्ड बनता जा रहा है। प्रशासन और राजनेताओं की लगातार अपील और बिना मास्क के बाहर निकलने वालों के खिलाफ कार्रवाई के बावजूद लोग सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर गंभीर नहीं हैं। टीआरपी न्यूज़ ने भी यह जानने की कोशिश की कि आखिर लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का कितना पालन कर रहे हैं।

लोग नहीं पहन रहे मास्क, धारा 144 का भी पालन नहीं

शहर के अधिकांश स्थानों पर लोग जहां-तहां खड़े नजर आते हैं, उनके पास मास्क भी होता है, मगर वह चेहरे की बजाय नीचे उतरा हुआ होता है। ऐसा लगता है कि अधिकांश लोगों ने सिर्फ इसलिए मास्क लटका रखा है, ताकि गाहे-बगाहे अगर कहीं कोई टीम कार्रवाई करते हुए नजर आ जाये तब वे जुर्माने से बच सकें।

इसी तरह जिला प्रशासन द्वारा यहां लगाए गए धारा 144 का पालन भी होता नजर नहीं आ रहा है। चौक चौराहों, पान ठेलों, चाय की दुकानों और सार्वजनिक स्थलों पर लोग समूह में दिखाई देते हैं, यहाँ भी लोगों के कान पर मास्क केवल फंसा हुआ नजर आता है, और उनके चेहरे खुले हुए होते हैं।

ऑटो रिक्शा में ठूंस कर भरे जाते हैं यात्री

कोरोना की चैन तोड़ने के लिए कम से कम 06 फिट की दूरी बनाये रखने के निर्देश हैं, मगर इस संबंध में जारी नियम कायदे ऑटो रिक्शों में दम तोड़ते नजर आते हैं। राजधानी में चलने वाले अधिकांश ऑटो रिक्शों में सवारियां खचाखच भरी नजर आती हैं। लोग भी इस तरह के वाहन में बैठ कर जाने को तैयार हो जाते हैं, यही वजह है कि ऑटो चालक मनमाने तरीके से सवारियां बैठाते हैं।

ट्रैफिक पुलिस नहीं कर रही है कार्रवाई

कोरोना काल में सवारी वाहनों में बैठने के लिए संख्या निर्धारित है, मगर यह सभी को पता है कि राजधानी की सड़कों पर दौड़ने वाले ऑटो रिक्शों में अमूमन कितनी सवारियां बिठाई जाती हैं। ऐसे वाहन ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात जवानों अथवा अधिकारियों को नजर नहीं आते, तभी तो इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है।

टीका आया और लापरवाह हो गए लोग

यूनीसेफ के चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ श्रीधर बताते हैं कि देश में जैसे ही कोरोना का टीका आया, लोग इस बात को लेकर निश्चिन्त हो गए कि कोरोना अब उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता, ऐसे ही अधिकांश लोग सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर लापरवाह हो गए। दोबारा कोरोना फैलने में ऐसे लोगों की भूमिका ही ज्यादा रही है। लोग मास्क अच्छी तरह नहीं लगा रहे है और ना ही सोशल डिस्टेंसिंगका पालन कर रहे हैं। बहरहाल लोगों के साथ ही खुद को भी इस संकट से बचाने के लिए बेहतर यह होगा की आप सोशल डिस्टेंसिंग का अच्छी तरह पालन करें और जरुरी हो तभी घर से निकलें।

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