हाईकोर्ट

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सरकार के द्वारा प्रदेश में 18 से 44 साल तक के लोगों को वैक्सीनेशन में आरक्षण के फैसले को चुनौती देते हुए इंटरवेंशन एप्लिकेशन लगाई गई है।


कोरोना के लिए तमाम मुद्दों पर दायर जनहित याचिका में ये आवेदन दाखिल किया गया है। इस आवेदन को स्वीकार करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट 04 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगी।

इस इंटरवेंशन एप्लीकेशन की जानकारी देते हुए अधिवक्ता अनुमेश श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोरोना वैक्सीनेशन के तीसरे चरण जिसमे 18 से 44 वर्ष की आबादी का टीकाकरण किया जाना है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा आर्थिकतौर पर आरक्षण किया गया है। जिसमें सबसे पहले अंत्योदय कार्ड धारी, फिर BPL उसके बाद APL कार्ड धारियों का टीकाकरण किया जाएगा।

सरकार ने इस प्रक्रिया में अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 “राइट टू इक्वालिटी” का उल्लंघन किया है। जिसके खिलाफ रायपुर के मोहित सिंघानिया ने ये आवेदन दाख़िल किया है। अधिवक्ता श्रीवास्तव ने बताया कि हाईकोर्ट ने भी इस मामलें को गंभीरता से लेते हुए आवेदन को स्वीकार कर सुनवाई के लिए 4 मई की तारीख तय की है।

अमित जोगी ने भी दायर की याचिका

इधर, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य शासन द्वारा टीकाकरण में आरक्षण लागू करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें आरक्षण के बजाय संवैधानिक व विज्ञानी प्रविधान के अनुसार टीकाकरण कराने की मांग की गई है। वर्तमान में 18 से 44 साल के अंत्योदय राशन कार्डधारकों को टीका लगाया जा रहा है।

अमित जोगी ने अपने अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने दलील दी है कि छत्तीसगढ़ सरकार का टीकाकरण में आरक्षण लागू करने का निर्णय असंवैधानिक और अनैतिक होने के साथ ही गैरविज्ञानी भी है। टीकाकरण पहले उन लोगों का किया जाना चाहिए, जिनके संक्रमित होने की आशंका है। इसमें किसी वर्ग विशेष की बात नहीं है। भले ही वे किसी भी वर्ग या जाति के क्यों न हों। टीकाकरण में प्राथमिकता का निर्णय अस्पताल के विशेषज्ञ डाक्टर ही ले सकते हैं ना कि वातानुकूलित कमरों में बैठे नेता। टीकाकरण का आधार आरक्षण की जगह विज्ञानी होना चाहिए और उपचार का सिर्फ एक ही आधार होता है जिसे चिकित्सा की भाषा में ट्राइएज कहा जाता है। यानी गंभीर रोगियों को पहले चिकित्सा देने की विधि के आधार पर टीकाकरण होना चाहिए।