कैदियों
छत्तीसगढ़ के दस हजार कैदियों में जगी रिहाई की आस

बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ के करीब दस हजार कैदियों को कोरोना काल में फिर से रिहाई की उम्मीद जगी है। इसके लिए हाइपावर कमेटी की अनुशंसा के बाद राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से जेलों को निर्धारित शर्तों के आधार पर कैदियों की रिहाई के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

पहले भी हो चुका है ऐसा

पिछले साल में कोरोना महामारी के दौरान जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के प्रकरणों को स्वत: संज्ञान में लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को पैरोल व जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया था। इसके लिए राज्यों में हाइपावर कमेटी बनाकर जेलों से जानकारी जुटाकर तय समय के लिए कैदियों की रिहाई करने कहा गया था। इस आदेश के बाद प्रदेश के विभिन्न् जेलों में बंद करीब दस हजार कैदियों को अलग-अलग किश्तों में तीन-तीन माह के लिए रिहाई का मौका दिया गया।
ताकि, कोरोना संक्रमण से उन्हें बचाया जा सके। फिर बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें आत्मसमर्पण करने कहा गया।

90 दिनों के लिए पैरोल पर छोड़ने का आदेश

अब सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के दूसरी लहर में तेजी से फैलती महामारी को देखते हुए हाइपावर कमेटी को कैदियों को 90 दिनों के लिए पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद उन कैदियों में फिर से रिहाई की आस जगी हैं, जिन्हें पिछली बार छोड़ा गया था। इस संबंध में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने सभी राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकरण को दिशानिर्देश जारी कर दिया है।

हालांकि, राज्य स्तर पर बनी हाइपावर कमेटी से अभी तक कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है। इस स्थिति में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को हाइपावर कमेटी के निर्देशों का इंतजार है। विधिक सेवा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि पैरोल व जमानत पर कैदियों की रिहाई के लिए कार्रवाई चल रही है। हाइपावर कमेटी के निर्देश के बाद कैदियों की रिहाई शुरू हो जाएगी।

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