छत्तीसगढ़ दम तोड़ने लगा कोरोना, 4328 नए पाजिटिव 9631 डिस्चार्ज 103 की मौत, रिकवरी रेट में इजाफा
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टीआरपी डेस्क। देश में कोरोना वैक्सीनेशन का काम भी चल रहा है। इस बीच लोगो में खून का थक्का जमने की शिकायत दर्ज की गई है। वहीं कई मामलों में वैक्सीन लगने के बाद खून का थक्का जमने और उसके कारण मौत होने के मामले सामने आए थे। जिसके बाद भारत में इस मसले पर गहरी रिसर्च की गई थी। रिसर्च में पाया गया कि भारत में कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद ब्लड क्लॉटिंग के कम केस मिल रहे हैं, जो गंभीर बात नहीं है।

कमेटी ने पाया कि 3 अप्रैल 2021 तक देश में 7.5 करोड़ वैक्सीन की डोज दी गई थी। जिनमें से 6.5 करोड़ पहली डोज़ थी और लगभग एक करोड़ दूसरी डोज़ थी। इस दौरान कुल 23 हजार दिक्कत के मामले दर्ज किए गए थे। जो कि देश के 684 जिलों से थे, लेकिन इन 23 हजार में से भी सिर्फ 700 मामले ऐसे थे। जो बेहद ही गंभीर थे, जो प्रति मिलियन वैक्सीन डोज़ में मात्र 9.8 केस का औसत हैं।

सिर्फ 26 केस में दिखे ब्लड क्लॉट के लक्षण

वहीं सीरियस मामलों में से कुल 498 केस का कमेटी ने अध्ययन किया। जिसमें से सिर्फ 26 केस ऐसे थे, जिनमें ब्लड क्लॉट के लक्षण थे। यह लक्षण कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद ही पैदा हुए थे। हालांकि, कोवैक्सीन लगने के बाद ऐसा कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया। कमेटी की रिपोर्ट का दावा है कि भारत में ब्लड क्लॉट की मात्रा काफी कम है लेकिन जिनमें यह केस मिले हैं वो ठोस हैं। भारत में इन मामलों का प्रति दस लाख डोज़ में 0.6 केस था, जबकि यूके में यही प्रति दस लाख पर 4 केस है।

जाने क्या हैं इसके लक्षण

अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसको लेकर एडवाइज़री भी जारी की गई है। जिसके अनुसार हेल्थवर्कर्स और वैक्सीन लेने वाले लोगों को अगर टीका लगने के 20 दिन के अंदर ऐसे कोई लक्षण दिखाई दें तो वह इस बारे में अस्पताल को सूचित कर सकते हैं।

इसके लक्षणों में छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, हाथ में सूजन या ज्यादा दर्द, टीका लगने वाले जगह पर लाल निशान, पेट में दर्द, लगातार उल्टी आना, लगातार सिर में दर्द, शरीर के किसी अंग या किसी हिस्से में लगातार दर्द, बिना किसी वजह के उल्टी आना, आंखों में दर्द, डबल विज़न दिखना शामिल है।

हालांकि, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि कोविशील्ड भारत में इस्तेमाल की जाने वाली एक अच्छी वैक्सीन है। जिसने शानदार नतीजे दिए हैं। यह वैक्सीन कोरोना के कारण होने वाली दिक्कतों को कम करती है। वहीं पिछले महीने की शुरुआत में एम्स के प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया था कि कोविशील्ड के लगने पर युवाओं में ब्लड क्लॉटिंग की संभावना बेहद कम है।

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