ब्रेकिंग:वाड्रफनगर बीएमओ डा. गोविंद सिंह की कोरोना से मौत
ब्रेकिंग:वाड्रफनगर बीएमओ डा. गोविंद सिंह की कोरोना से मौत

नई दिल्ली। लोग कोरोना वायरस के तो शिकार हो ही रहे हैं, साथ ही उन्हें न्यूरोलॉजिकल व अन्य कई तरह की समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है। न्यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि जो मरीज इस वक्त कोरोना के शिकार हो रहे हैं और स्थिति गंभीर हो रही है उनमें बेहोशी, गुस्सा, कन्फ्यूजन जैसी समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं। इसके अलावा कुछ लोगों को स्ट्रोक भी हो रहा है।

मूलचंद अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नीरज त्यागी बताते हैं कि इस बार सेकंड वेव में उन्होंने अस्पताल में भर्ती कई मरीजों की स्थिति का आकलन किया है और देखा है कि लोगों को बेहोशी काफी हो रही है। बेहोशी में बात करना, बेहोशी में ही खाना, बेहोशी में लेटे रहना आदि। इसके अलावा उनमें गुस्सा भी देखा जा रहा है और चीजों को लेकर भी कन्फ्यूज हो रहे हैं।

हालांकि यह स्थिति कोरोना के उन मरीजों में ही देखी जा रही है जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है या फिर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर, टीबी जैसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं। डॉ. नीरज कहते हैं कि उनके अस्पताल में आईसीयू में अगर 20 मरीज एडमिट हैं तो उनमें से 60 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जिनके साथ बेहोशी, गुस्सा या कन्फ्यूजन जैसी समस्या हो रही है। इसके अलावा 5 से 10 प्रतिशत मरीजों में कोरोना के कारण ब्रेन स्ट्रोक भी देखा जा रहा है।

क्या है इस समस्या की वजह

डॉ. त्यागी कहते हैं कि इन न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के पीछे बड़ा कारण है ऑक्सीजन लेवल कम होना। इससे मरीज के शरीर के कई हिस्सों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती जिससे ये न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

उनका कहना है कि अब स्थिति फिर भी ठीक हो रही है, लेकिन जब दिल्ली में कोरोना वायरस पीक पर था तो बड़ी संख्या में मरीजों में ये समस्याएं देखने को मिली हैं।

इसे ऑक्सीजन की कमी से होने वाली समस्या भी कहा जा सकता है और कोरोना की वजह से होने वाली समस्या भी, क्योंकि कोरोना मरीजों का ही ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है।

कैसे करें इससे अपना बचाव

उनका कहना है कि अगर इन न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से बचना है तो समय पर ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है। अगर आपको कोरोना के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो आप उसे नजरअंदाज करने की बजाय टेस्ट करवाएं। टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो घबराना नहीं है, बल्कि डॉक्टर से परामर्श लेना है।

इसके बाद डॉक्टर जो उपचार बताए, उसे पूरा करें और डॉक्टर के संपर्क में रहें। अगर किसी तरह की समस्याएं महसूस हो रही हैं तो डॉक्टर को बताएं। समय से ये चीजें करने पर इन न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से बचा जा सकता है।

डॉ. त्यागी का कहना है कि कई मरीज ऐसे देखे हैं जो टेस्ट ही नहीं करवाते, नजरअंदाज करते हैं और जब स्थिति बिगड़ती है तो अस्पताल की तरफ भागते हैं।

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