आत्महत्या

पटवारी निलंबित, नायब तहसीलदार अटैच, मामले में दंडाधिकारी जांच के आदेश

टीआरपी डेस्क। मोहरेंगा में एक किसान ने सुसाइड नोट में नायब तहसीलदार और पटवारी पर आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। जमीन विवाद में न्याय नहीं मिलने का हवाला दिया गया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने तत्काल पटवारी को निलंबित कर नायब तहसीलदार को रायपुर अटैच कर दिया। इसी के साथ ही दंडाधिकारी जांच का आदेश दिया है।

मामला तूल पकड़ने के बाद तत्काल प्रभाव से नायब तहसीलदार नंदकिशोर सिन्हा को अटैच कर पटवारी देवेंद्र कर्ष को निलंबित कर दिया गया है। मोहरेंगा गांव से जुड़े इस मामले में पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला है। किसान ने सरकारी सिस्टम पर गंभीर आरोप लगाते हुए पटवारी और नायब तहसीलदार को मौत का जिम्मेदार ठहराया है। सुसाइड नोट में किसान ने जमीन विवाद में लिखा है कि पटवारी और तहसीलदार उसे न्याय नहीं दिला सके।

रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार ने इस मामले में अहम बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट तैयार करने दंडाधिकारी जांच के आदेश दिए गए हैं। प्रशासन की ओर से यह भी जरूर बताया गया है कि ग्राम मोहरेंगा में ग्राम कोटवार तोरनदास पिता रतनदास द्वारा मोहरेंगा में कोटवारी सेवा भूमि खसरा नं. 417/2 रकबा 1.1980 हेक्टेयर भूमि धारित है। करीब दो वर्ष पूर्व ग्राम कोटवार द्वारा इस भूमि के सीमांकन के लिए नायब तहसीलदार तिल्दा नंदकिशोर सिन्हा के सक्षम सीमांकन हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किए जाने पर विधिवत किए गए सीमांकन में रकबा 0.372 हे. भूमि पर मृतक सरजू यादव का अनाधिकृत कब्जा पाया गया था, जिस पर संबंधित राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी नंदकिशोर सिन्हा द्वारा विधिवत सुनवाई किया जाकर वाद के संबंधित दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात 22 मई 2020 को मौके पर भूमि का चिन्हांकन कर दोनों पक्षाें को बताया गया था।

पंचनामा में नहीं दी थी सहमति

सीमांकन कार्यवाही के दौरान तैयार पंचनामे पर सरजू यादव ने हस्ताक्षर करने से इनकार किया था। पंचनामा के दौरान मौजूदा स्थिति को लेकर सरजू ने आपत्ति भी जताई थी। हालांकि राजस्व न्यायालयों द्वारा की गई कार्यवाही के संबंध में असंतुष्ट पक्षकार को विधिवत अपील/पुनरीक्षण करने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन इस मामले में कोई अपील/पुनरीक्षण प्रस्तुत नहीं किया गया।

रिपोर्ट में बताया- दो किसानों के बीच विवाद का मामला

जिला प्रशासन की ओर से प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि यह विवाद दो किसानों के मध्य भूमि संबंधी विवाद प्रतीत होता है। बावजूद इसके आत्महत्या कर लेने की घटना गंभीर है। ऐसे में अलग-अलग बिंदुओं में जांच करने को कहा गया है। मृत्यु का कारण क्या था? किसान की मृत्यु किन परिस्थितियाें में हुई? क्या घटना को टाला जा सकता था? इस मृत्यु के लिए यदि कोई जिम्मेदार है तो उत्तरदायित्व का निर्धारण? घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या उपाय होंगे? अन्य बिंदु जो जांच अधिकारी उचित समझें? क्या किसी लोकसेवक का पक्षपातपूर्ण कृत्य मृत्यु के लिए उत्तरदायी है? इन बिंदुओं में जांच रिपोर्ट मांगी गई है।

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