रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब बच्चों के साथ पालकों के लिए भी मोहल्ला क्लास की शुरुआत होने जा रही है। पढ़ना-लिखना अभियान के तहत अब बच्चों के साथ-साथ पालकों को भी शिक्षा दी जाएगी। अभियान के तहत अब अशिक्षित पालकों को शिक्षित करने का लक्ष्य है। नए सत्र से इस अभियान की शुरुआत होगी।

कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रख कर लिया जा रहा मोहल्ला क्लास
लॉकडाउन में पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए मोहल्ला क्लास की शुरुआत की है। स्कूल के शिक्षक मास्क लगाकर रोज गांव के एक मोहल्ले में जाते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए मोहल्ले के 4-5 बच्चों को किसी एक स्थान पर इकट्ठा करते हैं और फिर वहीं शुरू हो जाती है प्राथमिक शाला की पढ़ाई। इस चलते-फिरते स्कूल में हर कक्षा के बच्चे होते हैं। सबके अपने-अपने सवाल होते हैं। स्कूल के शिक्षकों के पास हर सवाल का जवाब होता है।
शिक्षक सोशल डिस्टेंसिंग से ही सबकी कॉपियों में हल किए जवाबों को देखते हैं और सही करवाते हैं। किसी को नया होमवर्क देते हैं, तो किसी को सुधार के लिए कहते हैं। शिक्षक इस दौरान पालकों से बच्चों की पढ़ाई के बारे में तो बातें करते ही हैं। साथ ही घर में ही मास्क तैयार करने, घर-मोहल्ले की साफ-सफाई और कोरोना संक्रमण से बचाव की अन्य जानकारियां भी लोगों को बतलाते हैं।
पढ़ई तुंहर दुवार के तहत बच्चों को दिया जा रहा शिक्षा
मालूम हो कि सरकार ने इस वैश्विक महामारी के संक्रमण को देखते हुए सभी स्कूल बंद हैं। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पढ़ई तुंहर दुवार अभियान के तहत घर बैठे पढ़ाई कराने के लिए विद्यार्थियों को सीधे मोबाइल से जोड़कर ऑनलाइन कक्षा संचालित कर पढ़ाया जा रहा है।
इस योजना का लाभ शहरी बच्चों के साथ ग्रामीण बच्चे भी उठा रहे हैं। ऐसे बच्चे जो ग्रामीण परिवेश से हैं और जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है उन्हें सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से जोड़े रखने के लिए शिक्षकों ने यह नया तरीका अपनाया है।
Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम और वॉट्सएप पर…