इजराइली स्पायवेयर पेगासस से भारत के 40 से ज्यादा पत्रकारों की जासूसी का दावा

टीआरपी डेस्क। पेगासस स्पायवेयर इन दिनों सुर्खियों में हैं। न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की जासूसी की है। इन लोगों में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल हैं। सरकार ने पेगासस स्पायवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने सफाई देते हुए सभी आरोपों को निराधार बताया है।

पेगासस इससे पहले भी कई बार सुर्खियों में रहा है। 2019 में वाट्सऐप ने पेगासस को बनाने वाली कंपनी पर मुकदमा भी किया था।

फिलहाल क्यों है सुर्खियों में पेगासस

  • पेरिस की एक संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास करीब 50 हजार फोन नंबर्स की एक लिस्ट है। इन संस्थानों का दावा है कि ये वो नंबर है, जिन्हें पेगासस स्पायवेयर के जरिए हैक किया गया है।
  • इन दोनों संस्थानों ने इस लिस्ट को दुनियाभर के 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया है। अलग-अलग देशों की सरकारें पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, बिजनेसमैन, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और वैज्ञानिकों समेत कई लोगों की जासूसी कर रही हैं।
  • इस सूची में भारत का भी नाम है। न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों की जासूसी की गई है उनमें 300 भारतीय लोगों के नाम शामिल हैं। जासूसी के लिए इजराइली कंपनी द्वारा बनाए गए स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया है।

पेगासस क्या है?

  • पेगासस एक स्पायवेयर है। स्पायवेयर यानी जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है। इस स्पायवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है।
  • इस लिस्ट में 40 पत्रकार, तीन विपक्ष के बड़े नेता, एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति, मोदी सरकार के दो मंत्री और सुरक्षा एजेंसियों के मौजूदा और पूर्व हेड समेत कई बिजनेसमैन शामिल हैं। ये पत्रकार हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, टीवी-18, द हिंदू, द ट्रिब्यून, द वायर जैसे संस्थानों से जुड़े हैं। इनमें कई स्वतंत्र पत्रकारों के भी नाम हैं।
पूरे मामले पर भारत सरकार का क्या कहना है?

इस पूरे मामले पर इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने सफाई दी है। मंत्रालय ने कहा है कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है। सरकार पर जो जासूसी के आरोप लग रहे हैं वो बेबुनियाद हैं।

इस मामले में सरकार की क्या भूमिका है?

पेगासस को बनाने वाली कंपनी का कहना है कि वो इसे केवल सरकार और सरकारी एजेंसियों को ही इस्तेमाल के लिए देती है। इसका मतलब है कि अगर भारत में इसका इस्तेमाल हुआ है, तो कहीं न कहीं सरकार या सरकारी एजेंसियां इसमें शामिल हैं।

पेगासस काम कैसे करता है?

  • किसी डिवाइस में पेगासस को इंस्टॉल करने के लिए हैकर अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। एक तरीका ये है कि टारगेट डिवाइस पर मैसेज के जरिए एक “एक्सप्लॉइट लिंक” भेजी जाती है। जैसे ही यूजर इस लिंक पर क्लिक करता है, पेगासस अपने आप फोन में इंस्टॉल हो जाता है।
  • 2019 में जब व्हाट्सऐप के जरिए डिवाइसेस में पेगासस इंस्टॉल किया गया था तब हैकर्स ने अलग तरीका अपनाया था। उस समय हैकर्स ने व्हाट्सएप के वीडियो कॉल फीचर की कमी (बग) का फायदा उठाया था। हैकर्स ने फर्जी व्हाट्सऐप अकाउंट के जरिए टारगेट फोन पर वीडियो कॉल किए थे। इसी दौरान एक कोड के जरिए पेगासस को फोन में इंस्टॉल कर दिया गया था।

एक बार आपके फोन में आने के बाद पेगासस के पास आपकी क्या-क्या जानकारी होती है?

  • आपके पासवर्ड, कॉन्टेक्ट नंबर, लोकेशन, कॉल्स और मैसेजेस को भी रिकॉर्ड कर कंट्रोल सर्वर पर भेजे जा सकते हैं।
  • पेगासस आपके फोन का कैमरा और माइक भी अपने आप चालू कर सकता है। आपकी रियल टाइम लोकेशन भी हैकर को पता चलती रहेगी।
  • साथ ही आपके ई-मेल, SMS, नेटवर्क डिटेल्स, डिवाइस सेटिंग, ब्राउजिंग हिस्ट्री की जानकारी भी हैकर को होती है।

पेगासस इतना फेमस क्यों है?

  • इंस्टॉल होने के बाद आपका फोन हैक होगा तो भी आपको पता नहीं चलेगा।
  • ये कम बैंडविड्थ पर भी काम कर सकता है। साथ ही फोन की बैटरी, मेमोरी और डेटा का भी कम इस्तेमाल करता है जिससे कि फोन हैक होने पर किसी तरह का शक न हो।
  • एंड्रॉइड के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माने जाने वाले आईफोन के iOS को भी हैक कर सकता है।
  • फोन लॉक होने पर भी पेगासस अपना काम करता रहता है।
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