भूपेश कैबिनेट का फैसला: जाति प्रमाण पत्र प्राप्त जारी करने अब ग्राम सभा का संकल्प और नगरीय निकायों की उद्घोषणा मानी जाएगी साक्ष्य

रायपुर। शैक्षणिक संस्थानों में स्कॉलरशिप लेकर एडमिशन, आरक्षण का लाभ और विभिन्न कार्यों के लिए जाति प्रमाणपत्र का प्रस्तुतीकरण जरूरी होता है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनुसूचित जाति, जन जाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों को जाति प्रमाण पत्र (सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र) जारी करने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है।

सोमवार को सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए ग्राम सभा का संकल्प और नगरीय निकायों की उद्घोषणा मानी जाएगी को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकेगा।

कैबिनेट के फैसले के बाद राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राज्य के सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र जारी कर निर्देश दिए गए हैं कि छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के प्रावधानों के तहत जहां जाति को प्रमाणित करने हेतु कोई दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध नहीं हो तो ग्राम सभा द्वारा आवेदक की जाति के संबंध में परित संकल्प को मान्य करते हुए जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए।

इसी तरह से नगर पंचायत या नगरपालिका परिषद अथवा सामान्य सभा द्वारा की गई उद्घोषणा को जाति तथा मूल निवासी के संबंध में साक्ष्य के रूप में मान्य करते हुए निमयानुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने अधीनस्थ सक्षम प्राधिकारियों को निर्देशित करें कि राज्य शासन द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी करने के सम्बंध में दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करें और प्रावधानों के तहत नियमानुसर (सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र) जाति प्रमाण पत्र जारी करें।

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