बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रबंधन का झूठ! दावा- 24 घंटे में 2 बच्चों की मौत, परिजन बोले- हमने 6 से ज्यादा शवों को बाहर जाते देखा

रायपुर। जिला अस्पताल में एक ही दिन में 7 बच्चों की मौत के आरोप से हंगामा मचा हुआ है। अब अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में लिपापोती करना शुरू कर दिया है। दरअसल परिजनों ने दावा किया है कि अस्पताल में 6 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मंगलवार सुबह 8 बजे से 24 घंटे के दौरान केवल दो ही बच्चों की मौत हुई है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर सौरभ कुमार ने अस्पताल का जायजा लिया। इस दौरान वे एनआईसीयू के संबंध में पूरी जानकारी ली।

दो घंटे में ही हो गई 3 बच्चों की मौत

अस्पताल में बच्चों का इलाज कराने आए परिजनों ने दावा किया कि मंगलवार शाम 7 बजे से रात 9 बजे के बीच ही तीन बच्चों की मौत हुई है। कल सुबह से कम से कम छह बच्चों के शवों को उन्होंने बाहर जाते हुए देखा है। एक अन्य बच्चे के परिजन ने बताया, कल रात को जिस बच्चे की मौत के बाद हंगामा हुआ उसको डॉक्टरों ने निजी अस्पताल जाने को कह दिया था। परिजनों ने एम्बुलेंस भी बुला ली, लेकिन ऑक्सीजन सहित बच्चे को वहां तक ले जाने को डॉक्टर तैयार नहीं थे। करीब आधे घंटे बाद बच्चे की मौत हो गई।

अस्पताल प्रबंधन- दो बच्चे मरे और यह सामान्य

नवजात शिशु इकाई के प्रभारी डॉ. ओंकार खंडवाल ने भी कहा, कल सुबह 8 बजे से आज सुबह 8 बजे तक केवल 2 बच्चों की मौत हुई है। 19 जुलाई को यहां तीन बच्चों की मौत हुई थी, जबकि 18 तारीख को कोई मौत नहीं थी। डॉ. खंडवाल ने बताया, SNCU की क्षमता 45 बच्चों की है, अभी 37 का इलाज हो रहा है।

जिन दो शिशुओं की मृत्यु हुई है उनमें से पहला शिशु बेबी ऑफ केसरी धीमर 18 जुलाई को रात 1.00 बजे से भर्ती था और उसका वजन केवल 1.4 किलोग्राम, जन्म से ही अत्यंत कमजोर तथा भर्ती के दिन से ही वेंटिलेटर पर था। उसकी मृत्यु मंगलवार को सायं 6.30 बजे हुई। शिशु को अस्पताल द्वारा सभी आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया गया।

वहीं दूसरा शिशु बेबी ऑफ जानकी सिन्हा का था। माना बस्ती निवासी गर्भवती महिला जानकी सिन्हा पति घनश्याम सिन्हा को माना स्वास्थ्य केंद्र से रिफर कराकर परिजनों द्वारा जिला अस्पताल स्थित स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में सोमवार की सुबह 7.45 भर्ती कराया था। जहां पर सुबह 9.12 मिनट पर उन्होंने एक शिशु (लड़का / Male Child )को जन्म दिया। यह प्रसूता जानकी सिन्हा का चौथा बच्चा था। जन्म के तुरंत बाद शिशु नहीं रोया और ना ही कोई प्रतिक्रिया दी। नवजात के दिमाग तक ऑक्सीजन का प्रवाह नहीं होने के कारण उसे झटके आने लगे थे। पल्स भी बहुत कम था। अतः शिशु की गंभीर स्थिति को देखते हुए फौरन नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट/ NICU ) में शिफ्ट किया गया जहां पर शिशु का उपचार जारी था। नवजात की गंभीर हालत के बारे में उनके पिता घनश्याम सिन्हा को पूरी जानकारी दी गई थी। इसी दौरान मंगलवार 20 जुलाई को शाम 8 से 9 बजे के बीच शिशु की उपचार के दौरान ही मौत हो गई।

गरियाबंद से किसी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई है बल्कि गरियाबंद से आये शिशु के लिये अस्पताल द्वारा 10 हजार रुपये मूल्य की दवा सर्फेक्टेंट (surfactant) उपलब्ध कराकर स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा रहा है। इसके बावजूद भी नवजात शिशु के पिता द्वारा नशे में धुत होकर परिसर में हंगामा किया गया। नवजात की मृत्यु के बाद उनके परिजनों द्वारा अस्पताल परिसर में जिस प्रकार की अशांति का वातावरण निर्मित किया गया उससे गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती बाकी नवजातों के परिजन भी घबरा गए और उनके द्वारा भी अपने-अपने नवजातों को देखने की जिद करने की बात सामने आई।

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