ब्रेकिंग: केंद्र के ही अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों का रिकॉर्ड नहीं

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत न होने का मामला तूल पकड़ लिया है। दरअसल केंद्र सरकार ने सदन में कहा है कि राज्यों से इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन, मरने वालों की संख्या केंद्र सरकार के अधीन देश के बड़े सरकारी चिकित्सीय संस्थानों के पास भी नहीं है।

इन अस्पतालों में एम्स दिल्ली, एम्स भुवनेश्वर, एम्स भोपाल, एम्स रायपुर, एम्स पटना और एम्स जोधपुर भी शामिल हैं। इनके अलावा चंडीगढ़ पीजीआई, सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और शिलांग स्थित पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय एवं आयुर्विज्ञान संस्थान भी हैं जो केंद्र सरकार के अधीन हैं और इनके यहां ऑक्सीजन की कमी या फिर बिस्तरों की संख्या कम पड़ने की वजह से किसी मरीज की मौत होने की जानकारी नहीं है।

आरटीआई कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निवासी अनिकेत गौरव ने जब सूचना के अधिकार के तहत केंद्र सरकार के देश भर में मौजूद चिकित्सीय संस्थान और दिल्ली सरकार व उसके पांच बड़े अस्पतालों से यह जानकारी मांगी तो सभी अस्पतालों ने जानकारी दी है कि उनके पास ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत होने, वेंटिलेटर की कमी से किसी की जान जाने या फिर अस्पताल में बिस्तर कम पड़ने का कोई लिखित ब्यौरा मौजूद नहीं है।

अनिकेत गौरव का कहना है कि इस आरटीआई के बाद यह स्पष्ट है कि न सिर्फ राज्य, बल्कि केंद्र सरकार ने भी ऑक्सीजन की कमी या फिर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के चलते मरने वालों की रिपोर्टिंग को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया था।

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