पत्नी मानने से इनकार करने पर महिला आयोग ने बेटी का DNA टेस्ट कराने के दिए निर्देश
पत्नी मानने से इनकार करने पर महिला आयोग ने बेटी का DNA टेस्ट कराने के दिए निर्देश

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के बाद सुनवाई में तेजी आयी है। आज हुई सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में एक शख्स ने पीड़ित महिला एवं उसकी बेटी को पहचानने से ही इंकार कर दिया। जिसकी सुनवाई के बाद महिला, पुरुष और पुत्री का DNA टेस्ट करने का आदेश दिया गया।

महिला आयोग में अपनी 22 वर्षीय बेटी के साथ उपस्थित एक महिला आवेदिका ने बताया कि सन 1980 में मेरा विवाह अनावेदक से हुआ था, जो जल संसाधन विभाग में कार्यरत है, उनका विवाह ग्रामीण परिवेश में हुआ था और 5 साल तक वह अपनी ससुराल में भी रही है। महिला का आरोप है की तबादले के बाद उसका पति जहां भी पदस्थ रहा, वहां उन्हें लेकर नहीं गया और इस दौरान उसने अलग-अलग महिलाओं से विवाह कर लिया।

इधर आयोग के बुलावे पर यहां पहुंचे अनावेदक ने कहा कि यह ना यह मेरी पत्नी है और ना उसकी बेटी मेरी बेटी है। आवेदिका पत्नी के इस प्रकरण पर अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आगामी सुनवाई शिकायत के आधार पर जारी रखे जाने के पूर्व आवेदिका महिला, उसकी पुत्री और अनावेदक का डीएनए टेस्ट कर रिपार्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस स्तर पर डॉक्टरों से चर्चा के बाद थाना प्रभारी सिविल लाइन के माध्यम से सुपरिटेंडेंट मेडिकल कॉलेज को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने तक आवेदिकागण को सखी सेंटर में सुरक्षित रखा गया है, इस प्रकरण की समस्त जानकारी हेतु आयोग के समक्ष शासकीय कार्यावधि समय मे जानकारी को थाना प्रभारी एस आई के माध्यम से आयोग को अवगत कराने कहा गया।

दुधमुंही बच्ची को लेकर नहीं आने पर FIR दर्ज

एक अन्य प्रकरण में जिला जांजगीर से एस आई के माध्यम से अनावेदक को उपस्थित कराया गया। अनावेदक ने दुधमुंही बच्ची को अपने पास रख लिया है। पिछले दिसम्बर माह की सुनवाई में जब वह उपस्थित हुआ था, तब भी वह अपनी दुधमुंही बच्ची को लेकर नही आया था और इस सुनवाई में भी बच्ची को लेकर उपस्थित नही हुआ। उलटे उसने आयोग के समक्ष उपस्थित होकर उच्चतम न्यायालय में लगाये गए पिटीशन को कॉपी दिखाकर कहा कि मामला कोर्ट में चल रहा है, साथ ही आयोग की अधिकारिता को मानने से इंकार करने लगा। चूंकि अनावेदक का रवैया बार बार बच्ची को लेकर ताला बंद कर घर के सदस्यों सहित फरार हो जाने का है, उसकी नियत बच्ची को देने की नही है ऐसी स्थिति में आवेदिका को आयोग से सीधा सिविल लाइन थाना भेजा गया, जहाँ पुलिस ने अनावेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज भी कर लिया है।
इस दौरान अन्य काइमामलो की भी सुनवाई की गई। आयोग में महिलाओं से सम्बंधित प्रकरणों पर जनसुनवाई अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने नवनियुक्त सदस्यगण शशिकांता राठौर, नीता विश्वकर्मा और अर्चना उपाध्याय के साथ की।

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