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बिलासपुर। प्रदेश के बहु चर्चित चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण मामले में नया मोड़ आ गया है। कॉलेज को लीज पर मिली सरकारी जमीन को गिरवी रख लोन लेने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में कॉलेज के सभी 13 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सहित इंडियन बैंक को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले में 3 सप्ताह बाद दोबारा सुनवाई होगी।

दुर्ग के अमित चंद्राकर ने खुद को चंदूलाल चंद्राकर का प्रपौत्र बताते हुए अपने अधिवक्ता गुंजन तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि 1982 में मंगल प्रसाद चंद्राकर ने उनके परदादा चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर दुर्ग के जीई रोड स्थित जमीन पर अस्पताल निर्माण करने की योजना बनाई।

साडा से अनुमति लेकर लीज पर ली गई थी सरकारी जमीन

याचिका में कहा गया है कि सरकारी जमीन साडा से अनुमति लेकर लीज पर ली गई। इसी पर चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल खोला गया। अस्पताल के चलने पर अस्पताल के बोर्ड आफ डायरेक्टर ने मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए इंडियन बैंक से लोन लेने के लिए अस्पताल की जमीन को बंधक रखा। बैंक से मिली लोन राशि से दुर्ग के कचांदुर में मेडिकल कॉलेज की नींव रखी गई। अस्पताल की जमीन को लोन के लिए बंधक रखा गया है वह सरकारी है।

शासकीय धोखाधड़ी का मामला

याचिका में कहा गया है कि साडा ने जमीन लीज पर देते समय कई नियमों के साथ ही यह भी शर्त रखी गई थी कि ली गई जमीन को न तो बेचा जा सकता है, न बंधक रखा जा सकता है, न ही हस्तांतरित किया जा सकता है। इसके बाद भी बैंक ने लोन दिया जबकि उसे नगर निगम या साडा से इस जमीन के बारे में जानकारी लेनी थी।

इसलिए लिया गया लोन और उसके बदले में सरकारी जमीन को बंधक रखना गलत है। इसके बाद जब लोन नहीं पटा पाने पर इंडियन बैंक ने अस्पताल को नीलामी के लिए रखा है वह भी गलत है क्योंकि यह सरकारी संपति है। इसे नीलामी नहीं किया जा सकता। बोर्ड आफ डायरेक्टर ने इंडियन बैंक के साथ मिलकर शासकीय धोखाधड़ी की है।

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