टीआरपी डेस्क। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच खतरे से निपटने के लिए सबसे ज्यादा फोकस वैक्सीनेशन पर किया जा रहा है। वैक्सीन को लेकर कई तरह के परीक्षण भी लगातार किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक परीक्षण महाराष्ट्र के कोल्हापुर की आईसेरा बायोलॉजिकल ( iSera Biological ) कंपनी कर रही है।
ये कंपनी घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई कोरोनावायरस की एक नई दवा का परीक्षण कर रही है। माना जा रहा है कि यह दवा सभी परीक्षणों में सफल होती है, तो यह कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी।
आईसेरा बॉयोलॉजिक अपने परीक्षण में सफल होती है तो, यह इस तरह की देश की पहली स्वदेशी दवा होगी, जिसका इस्तेमाल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाएगा।
72 से 90 घंटे में आती है रिपोर्ट निगेटिव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती परीक्षणों में दवा की वजह से 72 से 90 घंटों के अंदर ही संक्रमितों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव हो जा रही है। आईसेरा फिलहाल इस दवा को लेकर ह्यूमन ट्रायल के पहले चरण में ही है। बताया जा रहा है कि अगस्त के अंत तक ये ट्रायल पूरा हो सकता है।
घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई है यह दवा
iSera Biological की कोरोना की दवा घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी।
दावा है कि कंपनी ने एंटीबॉडीज ( Antibodies ) का एक ऐसा कॉकटेल तैयार किया है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण को फैलने से रोक सकता है। यही नहीं इसके साथ ही शरीर में मौजूदा वायरस को भी खत्म कर सकता है।
अभी तक ये कंपनी एंटीसीरम प्रोडक्ट यानी सांप काटने, कुत्ते के काटने और डिप्थीरिया के इलाज में कारगर दवाएं बनाती है। लेकिन सीरम की मदद से बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा रही है। वहीं इस दवा को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर एनके गांगुली का कहना है कि, अब तक तो यह दवा काफी हद तक उम्मीद जगाती है, लेकिन हमें मानव परीक्षण के नतीजों का इंतजार करना चाहिए।