रक्षाबंधन पर स्वदेशी राखियों का जलवा, छत्तीसगढ़ में सब्जियों और जूट से बनी राखी हाथोंहाथ बिकीं, चीन को 5,000 करोड़ रुपए का झटका

नई दिल्ली/रायपुर। देश में आज रक्षाबंधन का त्योहार उत्साह के साथ देश भर में मनाया गया। बहनों ने अपने भाइयों को राखी बांधकर उनके दीर्घायु होने और उनके घरों में सौहार्द, सौभाग्य एवं आरोग्यता की कामना की। भाइयों ने भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप बहनों की रक्षा का वचन देकर उन्हें सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद दिया। इस बार देश में भारतीय राखियों का ही जलवा रहा और लोगों ने चीनी राखियों से परहेज किया। इस कारण चीन को 5,000 करोड़ रुपए का झटका लगा है।

कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने लोगों से स्वदेशी राखियां अपनाने का आह्वान किया था। कैट ने दावा किया कि आज के रक्षाबंधन में देश भर में बहनों ने चीनी राखियों का पूर्ण बहिष्कार किया और केवल भारतीय सामान से बनी राखियां ही भाइयों को बांधी।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की इस वर्ष देश के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों ने देशभर के सभी शहरों में घरों में काम करने वाली महिलाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्लम बस्तियों में रहने वाली महिलाओं से बड़ी मात्रा में राखियां बनवाई।

छत्तीसगढ़ में सब्जियों के बीज और जूट से बनी राखी का जलवा

कैट के आह्वान पर पर देशभर में पहली बार अनेक प्रकार की विशिष्ट राखियां बनवाई गई जिसमें नागपुर में बनी खादी की राखी, जयपुर में सांगानेरी कला की राखी, पुणे में खेती के बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊन की राखी, झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी वस्तुओं की राखी, छत्तीसगढ़ महिला स्वसहायता समूह की बनाई सब्जियों के बीज और जूट से बनी राखी, असम के तिनसुकिया में चाय की पत्तियों की राखी, कोलकाता में जूट की राखी, मुंबई में सिल्क की राखी, केरल में खजूर की राखी, कानपुर में मोती और बुंदों की राखी, बिहार में मधुबनी एवं मैथिली कला की राखी, पुड्डुचेरी में स्टोन राखी, बंगलौर में फूलों की राखी को लोगों ने हाथोंहाथ खरीद लिया।

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