चिंतन शिविर में चिकचिक: जीत के लिए भाजपा को आत्म मंथन की जगह कांग्रेस में मची रार पर ज्यादा भरोसा

रायपुर। 15 साल तक छत्तीसगढ़ में राज करने वाली प्रदेश भाजपा का ​3 दिवसीय चिंतन शिविर बिना किसी ठोस मंथन के समाप्त हो गया। अलग अलग सत्र में पार्टी के चिंतकों में पार्टी की कम और अपनी चिंता ज्यादा दिखी।

दरअसल चिंतन शिविर में पहले ही दिन प्रदेश में भाजपा की राजनीति में हासिए पर रखे गए पूर्व सांसद नंदकुमार साय ने पार्टी के बड़े नेताओं के सामने भाजपा शासन काल के 15 साल बनाम 13 सीटों पर सवाल उठाते हुए कहा कि चिंतन शिविर में इस बात पर मंथन होना चाहिए कि पार्टी की दुर्दशा के लिए ​किन परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराया जा जाए?

नंदकुमार साय के इसी सवाल से पार्टी का चिंतन शिविर चिकचिक शिविर में बदल गया, पार्टी के बड़े नेता समझ गए कि उनका इशारा किधर है। बता दें कि भाजपा की बस्तर चिंतन​ शिविर में भाजपा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शिव प्रकाश, छत्तीसगढ़ प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह-प्रभारी नितिन नवीन व संगठन महामंत्री बी संतोष के अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, पूर्व सांसद नंदकुमार साय मौजूद रहे।

मंथन की जगह कांग्रेस की रार पर चिंतन

भाजपा के चिंतन शिविर में सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए सीएम भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के मची खींचतान की ही रही। जबकि भाजपा के अपने चिंतन शिविर के आयोजन का मकसद बस्तर जैसे इलाकों पर आदिवासी समाज के बीच पार्टी संगठन को मजबूत बनाया जाना बताया गया था, जबकि चिंतन शिविर में बस्तर के नेता ही नहीं दिखे तो फिर ​शिविर में किसी बात पर मंथन हुआ ये प्रदेश में भाजपा की राजनीति करने वालों के लिए ही नहीं बल्कि पार्टी नेतृत्व के लिए भी अबूझ सवाल से कम नहीं है।

आरएसएस के नेताओं ने दिखाई दूरी

भाजपा के चिंतन शिविर में संघ के भी बड़े नेता शामिल नहीं हुए। क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते और प्रांत प्रचारक प्रेम शंकर सिदार ने इस शिविर से किनारा कर लिया। वनवासी कल्याण आश्रम और बस्तर में लंबे समय से आदिवासियों के बीच काम कर रहे आरएसएस के अनुषांगिक संगठन के प्रतिनिधि भी शिविर में नजर नहीं आए। हालांकि दूसरे दिन बस्तर के दिग्गज नेताओं में पूर्व मंत्री केदार कश्यप, किरण देव, लता उसेंडी, विक्रम उसेंडी, मनोज मंडावी सहित महेश गागड़ा को इस बैठक में जगह मिली।

सीएम के चेहरे को लेकर नेताओं की चुप्पी खल रही है कार्यकर्ताओं को

हालांकि बस्तर में आयोजित भाजपा के चिंतन शिविर के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि, भाजपा छत्तीसगढ़ में साल 2023 का चुनाव CM पद के लिए किसी चेहरे के साथ नहीं बल्कि विकास के मुद्दों को लेकर लड़ेगी। चिंतन शिविर की शुरुआत बस्तर संभाग से करने के सवाल पर डी पुरंदेश्वरी ने कहा कि, यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। यह हमेशा चलती रहती है।

इस बैठक में BJP के कई दिग्गज नेताओं को दूर रखने वाले सवाल पर डी पुरंदेश्वरी ने कहा कि, हमने किसी को दूर नहीं रखा है। कई लोग चिंतन शिविर की तैयारियां करने पहुंचे थे वे भी इस शिविर का एक पार्ट है। अब तक भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री के चेहरे पर कोई संकेत नहीं दिया है, यहीं सवाल भाजपा के कार्यकताओं को परेशान कर रहा है। पार्टी कार्यकर्ता संगठन में जमे नेताओं से खासे नाराज चल रहे हैं, यही नाराजगी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

चुनाव से पहले हताशा, कार्यकर्ताओं में कैसे जोश भरेगी भाजपा

बता दें कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अंदर चल रही अनबन पार्टी दफ्तर से बाहर निकल कर चौराहे पर आ गई है। जगदलपुर में चल रहे भाजपा के चिंतन शिविर के दौरान नेताओं के बीच की ‘रार’ सामने आई है। शिविर में किसी तरह का विवाद ना हो व केवल बस्तर पर चर्चा हो इसके लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह और उनके समर्थकों को भी ‘किनारे’ कर दिया गया, लेकिन नंदकुमार साय मुखर रहे।

हालांकि शिविर के अंतिम दिन पार्टी में सबकुछ ठीकठाक दिखाने की कोशिश की गई। इस एक तरह से डेमेज कंट्रोल कहा जा सकता है। कुल मिला कर कहा जाए तो बस्तर में भाजपा का मंथन चिंतन शिविर कम चिकचिक शिविर ज्यादा नजर आया।

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