छत्तीसगढ़ के युवाओं को मेडिकल की डिग्री के नाम पर ठगने वाले गिरोह सक्रिय, आयुर्वेद बोर्ड की जाँच में हुआ खुलासा

रायपुर। फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार लाख उपाय करे, मगर ठगी का कारोबार करने वालों का धंधा बदस्तूर जारी रहता है। देश भर में अलग-अलग तरीके से लोगों को ठगने के मामले रोज सामने आ रहे हैं, मगर इस बार आयुर्वेद की BAMS डिग्री दिलाने के नाम पर लाखों रुपए की ठगी करने के अनेक मामले सामने आए हैं। ठगी के शिकार अनेक युवाओं ने तो बाकायदा लिखित में परीक्षा दी और उन्हें डिग्रियां भी दी गईं।

बोर्ड रजिस्ट्रार संजय शुक्ला

छत्तीसगढ़ आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड, रायपुर द्वारा आयुर्वेद सहित संबंधित चिकित्सा का कोर्स करने के बाद राज्य में प्रैक्टिस करने के लिए छात्रों का पंजीयन किया जाता है। बोर्ड के रजिस्ट्रार संजय शुक्ला ने बताया कि दूसरे राज्यों में BAMS की डिग्री हासिल करने वाले आवेदकों की BAMS की डिग्री विधिवत तरीके से सत्यापन के लिए संबंधित राज्य के रजिस्ट्रार और विश्वविद्यालय को भेजा जाता है। बीते कुछ महीनों के दौरान जब संबंधित संस्थाओं से जवाब आया तब पता चला कि इनमें से 15 आवेदकों की डिग्रियां फर्जी हैं।

शो-कॉज नोटिस से हुआ ठगी के तरीकों का खुलासा

डॉ संजय शुक्ला ने बताया कि जिन 15 आवेदकों के BAMS के डिग्री फर्जी मिले उन्हें नोटिस जारी कर उनका जवाब माँगा गया, इनमे से कुछ ने बताया कि उन्होंने अख़बार में छपे विज्ञापन देखकर संबंधितों से संपर्क किया, वहीं कुछ को एजुकेशन कॉउंसलर ने फोन करके पत्राचार के माध्यम से BAMS के कोर्स के बारे में बताया। डिग्री के एवज में अधिकांश लोगों ने 10 से 15 लाख रूपए दिए। फर्जी डिग्रियों की संख्या और भी बढ़ने के आसार हैं।

कोर्स के लिए बकायदा आयोजित की लिखित परीक्षा

ठगी के शिकार युवाओं में से कुछ लोगों से TRP NEWS ने संपर्क किया। इन्हीं में से खड़गांव निवासी एक युवक ने बताया कि उसने फार्मेसी का कोर्स कर रखा है और वह मेडिकल स्टोर चलाता है। सन 2012 में उसने अख़बार में छत्तीसगढ़ शिक्षा अकादमी, बिलासपुर का विज्ञापन देखकर इसके संचालक जय जायसवाल से संपर्क किया। जायसवाल ने उसे उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर से BAMS का कोर्स कराने की बात कही। युवक उसके झांसे में आ गया।

इस दौरान उसे ठगी का अहसास भी नहीं हुआ क्योंकि उसे भुवनेश्वर ले जाकर उत्कल यूनिवर्सिटी से संबद्ध इंदिरा गाँधी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के आसपास ही किसी स्थान में आयोजित सेमेस्टर परीक्षा में शामिल कराया जाता था। यहाँ उसके साथ 15-20 लोग और भी परीक्षा दे रहे होते थे। ऐसा लगातार तीन-चार सालों तक कराया गया और किश्तों में उससे लगभग 9 लाख रूपए लिए गए।

जमीन बेचकर दिए रूपए

खडग़ांव निवासी इस युवक ने बताया कि वह बीच में रूपये नहीं दे सका तो उसका रिजल्ट रोककर रखा गया। मज़बूरी में उसने अपना प्लॉट बेच दिया और जय जायसवाल को रूपये दिए। काफी दबाव बनाने के बाद कुछ माह पहले ही उसे BAMS की डिग्री दी गयी, जिसे उसने पंजीयन के लिए छत्तीसगढ़ के आयुर्वेद बोर्ड में जमा कराया। बाद में पता चला कि उसे जो डिग्री दी गयी वह फर्जी है।

टेली कॉलिंग करके बनाया ठगी का शिकार

मुंगेली निवासी एक युवक ने बताया कि उसने पूर्व में NEET की परीक्षा दी थी मगर असफल रहा, फ़िलहाल वह फार्मेसी का कोर्स कर रहा है। 04 माह पहले ही खुद को पंडित अजय बताने वाले शख्स ने उसे फोन करके BAMS की डिग्री दिला देने की बात कही। युवक उसके झांसे में आ गया और दो किश्तों में उसने पंडित अजय को 07 लाख रूपए दिए।

युवक ने बताया की दूसरी किश्त लेते समय वह उसे रायपुर के आयुर्वेद मेडिकल बोर्ड के बाहर मिला और उसे BAMS की डिग्री दी। पंडित उसके साथ बोर्ड के कार्यालय भी गया और वहां पंजीयन लिए उसका फार्म भरकर जमा करवाया। उसने महज 04 माह में 07 लाख रूपए में BAMS की डिग्री हासिल की और वह भी फर्जी साबित होने के बाद अब पछताने के सिवा कुछ भी नहीं बचा है।

फर्जीवाड़े का बंगाल कनेक्शन

फर्जीडिग्री हासिल करने वालों में से बलौदा बाजार के 03 युवक पश्चिम बंगाल से जुड़े हुए हैं, इनसे पूछताछ से पता चला है कि चांदसी दवाखाना चलाने वाले कथित बंगाली डॉक्टर के संपर्क में आकर इन्होंने लाखों रूपए खर्च करके डिग्री हासिल की। अब इन्हे पता चला कि उनकी डिग्री तो फर्जी है।

NEET की परीक्षा से मिलता है प्रवेश

आयुर्वेद बोर्ड के रजिस्ट्रार डॉ संजय शुक्ला ने बताया कि MBBS के साथ ही BAMS, होमियोपैथी, यूनानी या प्राकृतिक चिकित्सा का कोर्स करने के लिए अब केंद्रीय स्तर पर NEET की परीक्षा होती है, जिसमे मेरिट के आधार पर चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश मिलता है। इसके अलावा किसी भी दूसरे तरीके से ये सभी मेडिकल कोर्स नहीं कराये जा सकते।

उन्होंने बताया कि फर्जी डिग्री उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर, जीवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर, भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर बिहार, छत्रपति साहूजी महाराज यूनिवर्सिटी, कानपुर, जीबी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज, रोहतक हरियाणा के बनाकर दिए गए थे। डॉ. शुक्ल ने लोगों से इस तरह ठगी का शिकार होने से बचने की अपील की है।

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