नर-नारी धान के नाम पर छत्तीसगढ़ के किसानो से ठगी का सिलसिला जारी, बायर के बाद एक और कंपनी के खिलाफ शिकायत
नर-नारी धान के नाम पर छत्तीसगढ़ के किसानो से ठगी का सिलसिला जारी, बायर के बाद एक और कंपनी के खिलाफ शिकायत

महासमुंद। केन्द्र व राज्य दोनों सरकारें किसानों की आय दुगनी करने के लिए नित नई योजनायें बना रहीं हैं, पर देश मे कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं, जो उन्नत खेती व आय दुगुनी करने के नाम पर किसान से धोखाधड़ी करने से भी बाज नही आ रही है। ऐसा ही मामला महासमुंद जिले मे सामने आया है, जहां रैलीज इण्डिया लिमिटेड नामक कम्पनी ने हाईब्रिड धान का बीज किसानो को अपने एजेंटों के माध्यम से वितरित कराया और फसल का उत्पादन लेने के बाद पैसो के लिए किसानों को महीनों से घुमाया जा रहा है । किसान पैसो के लिए कम्पनी के हैदराबाद स्थित कार्यालय भी गये, पर उन्हे अपने उत्पादन की राशि नहीं मिली। किसान व एजेंट अब थक हारकर पुलिस की शरण मे इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं।

हाईब्रीड बीज उगाने का था अनुबंध

महासमुंद के कोतवाली थाने में बड़ी संख्या किसान पहुंचे, जो खून-पसीने से उगाई फसल का दाम नही मिलने से परेशान होकर पुलिस की शरण मे आये हुए थे। दरअसल रैलीज इण्डिया लिमिटेड नामक बैंगलोर की कम्पनी के एजेंटो ने कम्पनी के पॉलिसी के अनुसार महासमुंद, धमतरी, बलौदाबाजार, बालौद, गरियाबंद के लगभग 500 किसानों को धान की हाइब्रिड वैरायटी MRH2 , MRH12, MRH15, 1B , 1B-5, 1B-8 का वितरण वर्ष 2020 के रबी सीजन मे किया था, जिसे किसानों ने हजारों एकड़ मे लगाया।

बीज खरीदा मगर बकाये के लिए घुमा रही कंपनी

बीज लगाने के 35 से 40 दिन मे फसल तैयार भी हो गयी और कम्पनी ने एजेंटों के माध्यम से उत्पादन को हाइब्रिड बीज के मूल्य के अनुसार 3600 रु, 3700रु ,5800रु, 6700 रु सौ प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद लिया। कम्पनी ने किसानो को उत्पादन का कुछ रकम दे भी दिया, पर बाकी पैसो के लिए किसान महिनो से एजेंट व कम्पनी के चक्कर लगा रहे हैं। अब भी इन पांचो जिलो के 500 किसानो का लगभग 3 करोड रुपये बकाया है। पैसो के अभाव मे किसान अपनी अगली फसल नही लगा पा रहे हैं। परेशान किसान व एजेंट अब पुलिस के शरण मे इंसाफ की गुहार लगा रहे है और इनका कहना है कि पैसे नही मिले तो उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पद सकता है।

शिकायत की सूचना पर थाने पहुंचे कंपनी के स्टेट हेड

इससे पूर्व किसानों ने रैलीज इण्डिया लिमिटेड के छत्तीसगढ़ हेड संजय जयसवाल से भुगतान के बारे में पूछा, मगर वे गोलमोल जवाब देते रहे और कहा कि मुख्यालय से भुगतान में देरी हो रही। वहीं उन्होंने धान बीज की गुणवत्ता में भी कुछ खामियां बताई। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर किसान थाने पहुंचे, तब कंपनी के अधिकारी भी वहां पहुँच गए। मीडिया से बातचीत में संजय जयसवाल ने भुगतान में देरी के पीछे कई तकनीकी दिक्क़ते बताईं। वहीं उप पुलिस अधीक्षक नारद सूर्यवंशी ने शिकायत मिलने की बात स्वीकार करते हुवे जांच के बाद कार्यवाही का भरोसा किसानों को दिया है।

हर साल आतें हैं धोखाधड़ी के मामले

दरअसल हाईब्रीड बीज बेचने वाली कंपनियां किसानों को मुनाफे का लालच दिखाकर उनके खेतों में नर – नारी धान की फसल लगवाती हैं। कभी बीज की गुणवत्ता तो कभी किसी और बहाने से कंपनियां इनके भुगतान में आनाकानी करती हैं, जबकि फसल में नुकसान होने पर भरपाई करने का भी कंपनी अनुबंध करती है। हाल ही में बायर नमक अंतर्राष्ट्रीय कंपनी द्वारा किसानों को मुआवजा नहीं दिए जाने का मामला भी सामने आया था। प्रदेश के कई जिलों के किसान आज भी भुगतान के लिए कंपनी की राह तक रहे हैं।

काली सूची में डाला जाये ऐसी कंपनियों को

कृषि विभाग को भी किसानों के साथ होने वाली इस तरह की धोखाधड़ी का पता है मगर जिम्मेदार अधिकारी केवल मध्यस्थता करके पैसे दिलाने का प्रयास करते हैं। कायदे से छत्तीसगढ़ के किसानों को बेवकूफ बनाने वाली इन कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर देना चाहिए मगर विभाग ऐसा क्यों नहीं कर रहा है, यह समझ से परे है।

बहरहाल मामले की शिकायत पुलिस में किये जाने के बाद रैलीज इण्डिया लिमिटेड द्वारा आनन-फानन में किसानों के खाते में कुछ रकम डाले जाने की जानकारी मिली है, मगर अब भी लाखों रुपयों का बकाया कंपनी के पास है जिसका भुगतान कब तक होगा इसका कोई ठिकाना नहीं।

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