टीआरपी डेस्क। राजनांदगांव जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां अब तक के इतिहास में पहली बार राजनांदगांव जिले में दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। यह फरमान फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया है।
मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को पाक्सो एक्ट के तहत चार साल की नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले आरोपी को स्पेशल फास्ट ट्रेक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। मामला कांकेतरा का बताया जा रहा है। जिले के चिखली पुलिस चौकी का मामला है। जहां पुलिस ने त्वरित कार्यवाही की है। जिसके बाद आरोपी युवक शेखर कोर्राम के घृणित हरकत को जज ने समाज के लिए कलंक बताया। पाक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शैलेष शर्मा ने यह सजा सुनाई। उन्होंने कहा कि बच्ची को कम से कम मौत के बाद न्याय मिलेगा।
पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज
आपको बता दें कि मामला चिखली थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम काकेतरा का है। घटना अगस्त 2020 की है। आरोपी शेखर कोर्राम 24 वर्ष ने ने 3 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया था। इसके बाद लाश को दीवान(पलंग) में छूपा दिया था। पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद रासायनिक जांच के आधार पर आरोपी को दोषी पाया गया। इनके खिलाफ 302,376 और पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज था.इन सभी साक्ष्यों के आधार पर एडीजी शैलेष शर्मा ने आरोपी को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। इस मामले पर लोक अभियोजक परवेज अख्तर ने पैरवी की।
दोपहर से गायब थी बच्ची
पुलिस ने बताया कि गांव में बच्ची वारदात वाले दिन के दोपहर से गायब थी। गांव वालों ने आसपास खोजबीन की और इसके बाद शाम करीब 5 बजे पुलिस को मामले की सूचना दी। सूचना के बाद पुलिस गांव में पहुंची और उसने खोजबीन शुरु की। पूरे गांव में खोजबीन करने और तालाब में जाल डालकर पतासाजी के बाद पुलिस ने गांव के हर घर में सर्च अभियान चलाया और बच्ची के घर से करीब सौ मीटर की दूरी पर एक घर से बच्ची की रक्तरंजिश लाश बरामद की गई थी। सीएसपी मणिशंकर चंद्रा ने बताया कि गांव के शेखर कोर्राम के घर से बच्ची का शव बरामद किया गया था। शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया था।
प्रदेश में अब तक 9 को फांसी की सजा
राज्य की जेलों में एक महिला समेत कुल नौ बंदी ऐसे हैं जिन्हें फांसी की सजा हुई है। इसमें छह, मासूमों के गुनहगार हैं। चार पर मासूम बच्चियों से दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप सिद्ध हुआ है। वहीं, एक दंपती अबोध बच्चे की बलि चढ़ाने का दोषी है। इस दंपती की फांसी की सजा पर इसी वर्ष अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। इस मामले के साथ ही बाकी प्रकरण भी फिलहाल कानूनी प्रक्रिया में फंसे हुए है।
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