बस्तर। किसानों के लिए बरसात का न होना सूखा का कारण बनता है तो कभी अत्यधिक बारिश भी फसल को नुकसान पहुंचा देती है। पिछले कुछ वर्षों से मौसम में हो रहे बदलाव से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। जिसका असर सीधा उनके आर्थिक जीवन पर हो रहा है। फसल न उत्पन्न होने से कई किसान तो आत्महत्या तक कर रहे हैं। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्षा जल के संचयन और भू-जल स्तर में वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर जल संग्रहण के उपाय किए जा रहे हैं। वहीं नदी व नालों के पुनर्जीवन के लिए नरवा योजना की शुरुआत की गई है।


27 करोड़ 56 लाख रूपये की स्वीकृति
जिसके लिए बस्तर जिले के सभी विकासखण्डों में पहले चरण में 40 बरसाती नालों के पुनर्जीवन का काम हाथ में लिया गया। इसके लिए झोड़ी जतन अभियान के तहत गांव के लोगों ने 66 नरवा का चयन किया है। इन नालों के पुर्नजीवन के लिए 5 हजार 423 कार्यों की स्वीकृति दी गई, जिसमें 2 हजार 504 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। साथ ही 211 नरवा के आसपास जल संग्रहण संरचनाएं बनाने के लिए 27 करोड़ 56 लाख रूपये की लागत के लगभग 4,106 कार्यों की स्वीकृति दी गई है, जिसमें लगभग 9.76 करोड़ रुपए व्यय कर 2,346 कार्य पूरा कर लिया गया हैै।

मिल रही किसानों को सिंचाई सुविधा
इन नालों के कमाण्ड क्षेत्र में जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया गया, नालों के पुनर्जीवन के लिए किये जा रहे कार्यों के प्रारंभिक परिणाम सकारात्मक और उत्साहजनक हैं। भू-जल स्तर के अंधाधुंध दोहन से जल-स्तर में कमी आई है। जिससे आस पास के क्षेत्रों में जलस्तर में वृद्धि होने के साथ-साथ ये नाले बारहमासी नालों में परिवर्तित हो गए हैं। इन 40 नालों के प्रवाह क्षेत्र की कुल लम्बाई 624.65 कि.मी. है।

इन नालों के आसपास के लगभग 11 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में किसानों को सिंचाई सुविधा मिल रही है। नरवा के उपचार के बाद नरवा के कैचमेंट तथा कमांड एरिया के औसत भू-जल स्तर में 8.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है। जिसके बाद पश्चात ग्रामीणों और किसानो को अब दूसरी फसल लगाने के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगा है।
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