कोयला खदानों से जंगल को बचाने मदनपुर से शुरू हुई “हसदेव बचाओ पदयात्रा”
कोयला खदानों से जंगल को बचाने मदनपुर से शुरू हुई “हसदेव बचाओ पदयात्रा”

कोरबा। हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित कोयला खदानों से इस इलाके को बचाने के लिए हसदेव बचाओ पदयात्रा की शुरुआत कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र मदनपुर से हुई। यह पदयात्रा दस दिनों तक 300 किलोमीटर पैदल चलते हुए 13 अक्टूबर को रायपुर पहुंचेगी |

राहुल के सभास्थल से शुरू हुई पदयात्रा

इस पदयात्रा की शुरुआत मदनपुर गाँव के उस स्थान से की गई, जहाँ पर वर्ष 2015 में राहुल गाँधी ने हसदेव अरण्य के समस्त ग्राम सभाओं के लोगो को संबोधित करते हुए उनके जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए संकल्प लिया था और कहा था कि वे इस संघर्ष में उनके साथ हैं। यात्रा प्रारम्भ करने से पहले हुई सभा में ग्रामीणों ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मृत किसानो को श्रद्धांजलि अर्पित की और मोदी सरकार की नीतियों पर जम कर हमला बोलाl

सरकारों की भूमिका की आलोचना

मदनपुर से प्रारंभ इस पदयात्रा को संबोधित करते हुए हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष उमेश्वर सिंह आर्मो ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि आदिवासी हितों का खुद को रक्षक बताने वाली पार्टी, संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास करने वाली राजनीतिक दल के सत्ता में होने के बावजूद हमें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए यह पदयात्रा निकालनी पड़ रही है| अडानी को जिस प्रकार मोदी सरकार देश के तमाम संसाधनों को सौंपने की कोशिश कर रही है उस प्रक्रिया में यहाँ की सरकार भी अपनी सहभागिता निभा रही है|

प्रस्तावित कोयला खदानों का विरोध

हसदेव अरण्य क्षेत्र का यह वही इलाका है जहां एलिफेंट रिज़र्व खोले जाने का प्रस्ताव है और सोची समझी रणनीति के तहत इस रिज़र्व का दायरा कम करने की मांग इलाके से संबंधित विधायकों के माध्यम से उठाई गई। दरअसल एलिफेंट रिज़र्व का दायरा काम करके यहां कोयला खदानें खोले जाने की योजना केंद्र सरकार ने तैयार की है, और इसकी प्रक्रिया भी चल रही है। बीते विधानसभा सत्र के दौरान एलिफेंट रिज़र्व का दायरा काम करने का मुद्दा काफी जोरशोर से उठा, जिसके चलते सरकार ने इस मुद्दे को लेकर फ़िलहाल कोई भी प्रस्ताव पेश नहीं किया।

ये हैं प्रमुख मांगें

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की प्रमुख मांगों में हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजना निरस्त किये जाने, बिना ग्राम सभा की सहमति के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत किए गए सभी भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त करने, पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी कानून से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमति के प्रावधान को लागू करने, परसा कोल ब्लाक के लिए फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति को तत्काल निरस्त करने एवं ग्रामसभा का फर्जी प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी और कंपनी पर FIR दर्ज करने, और पेशा कानून 1996 का पालन करने संबंधी मांग शामिल है।
यह पदयात्रा 13 अक्टूबर को रायपुर पहुंचेगी और अपनी मागों को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के समक्ष उठाएगी|

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