गरियाबंद। जिले के मैनपुर विकासखंड के एक गांव में गोवेर्धन पूजा के बाद दो ग्रामीणों के ऊपर से सैकड़ों मवेशियों को छोड़ दिया जाता है। मान्यता है कि सिरहा के नाम से संबोधित इन ग्रामीणों के ऊपर देवता सवार होते हैं और ऐसा करने से ग्रामीणों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

छत्तीसगढ़ में गोवेर्धन की पूजा के मौके पर अलग-अलग परम्पराएं निभाई जाती हैं। इसमें लोग खुशहाली के लिए सोंटा भी खाते हैं। गरियाबन्द जिले के मैनपुर विकासखण्ड के भाठीगढ़ पँचायत के बरगांव में गौ वंश के झुंड को दौड़ाने की भी परम्परा है। इसके तहत पूरे गांव के गोवंश को गोठान के पास एकत्र किया जाता है, फिर गोवर्धन पूजा कर उन्हें खिचड़ी खिलाई जाती है।
नजारा देखकर लोगों की अटकी रहती हैं सांसें
मवेशियों को खिचड़ी खिलाने के बाद गांव में गली के बीच दो दो ग्रामीणों को बिठा दिया जाता है, इन्हें सिरहा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इनमे से एक के ऊपर गोवर्धन देवता तो दूसरे पर सहाड़ा देव विराजमान होते हैं। यहां गाँव भर से एकत्र किये गए पूरे गोवंश को छोड़ा जाता है, जो दोनों सिरहा को खुरों से रौंदते हुए गुजरते जाते हैं। इस दौरान लोगों की सांसें अटकी रहती हैं। यहां काफी देर तक तक गायों के खुर से रौंदे जाने के बाद भी दोनों को कोई नुकसान नहीं होता।

इस गांव के मुखिया हेमसिंह नेगी ने बताया कि यह परंपरा सालों से चली आ रही है और मान्यता है कि गांव की खुशहाली के लिए देवता सारा कष्ट अपने ऊपर ले लेते हैं।
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