TRP डेस्क : दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के मिलने के बाद से पूरी दुनिया दहशत में है। इस वैरिएंट को WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) के द्वारा ओमिक्रॉन नाम दिया गया है। इस नामकरण के बाद से WHO सवालों के घेरे में घिर गया है। पूरी दुनिया के लोगों का मानना है कि इस नामकरण के द्वारा WHO चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इज्जत बचाने में लगा हुआ है।

दरअसल WHO के द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती समय से ही वायरस के हर नए वैरिएंट का नामकरण ग्रीक अल्फाबेट के लेटर्स के अनुसार उनके सहीं क्रम में किया जाता रहा है। अभी मिला नया वैरिएंट कोरोना वायरस का 13वाँ वैरिएंट है जबकि ओमिक्रॉन ग्रीक अल्फाबेट का 15वाँ अक्षर है। इसके बाद भी WHO ने ओमिक्रॉन से पहले आने 2 अक्षरों के नाम न देते हुए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को 15वें अक्षर ओमिक्रॉन का नाम दे दिया है।

छोड़े गए दोनों ग्रीक अक्षरों के नाम Nu (न्यू) और Xi (शी) हैं। जिन दोनों अक्षरों के आधार पर नामकरण को WHO ने छोड़ा है उनमें से पहले अक्षर Nu (न्यू) के संबंध में तो WHO का तर्क है जो समझ भी आता है। लेकिन दूसरे अक्षर Xi (शी) को छोड़ने के संबंध में WHO के पास कोई तर्क नहीं है।
Nu (न्यू) नामकरण न करने के पीछे का तर्क
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट का नाम Nu न रखने की वजह इसका उच्चारण है। ग्रीक में Nu का उच्चारण ‘न्यू’ होता है, जिसका अर्थ अंग्रेजी में नया होता है। और वायरस काफी समय से दुनिया में है और इस उच्चारण के कारण कोई भ्रांति न हो इसलिए नए वायरस वैरिएंत का नाम Nu नहीं रखा गया है।
नहीं है Xi (शी) नाम न रखने के पीछे कोई तर्क
वायरस के नए वैरिएंट के नामकरण में Xi (शी) अक्षर को छोड़ने के संबंध में WHO के पास कोई तर्क नहीं है। इससे स्पष्ट है कि इसके पीछे का कारण यही है कि Xi नाम चीन के राष्ट्रपति के नाम से मिलता है। बता दें चीन के राष्ट्रपति के नाम Xi Jinping (शी जिनपिंग) है। जिसके कारण नए वैरिएंट का नाम Xi रखने से WHO झिझक रहा था। दुनिया बर के लोगों की मानें तो यह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इज्जत बचाने की WHO की कोशिश है। जबकी कोविड-19 वायरस चीन से ही फैला था और संक्रमण के शुरुआती दौर में महीनों तक इसे छुपाने की कोशिश की थी।
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