वाशिंगटन। (Molnupiravir and Paxlovid) : अमेरिकी दवा नियंत्रक संस्था USFDA की विशेषज्ञ समिति ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए तैयार किए गए मोलनुपिरविर (Molnupiravir) टैबलेट के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दे दी।

यूके की दवा नियंत्रक संस्था MHRA की अनुमति इसे पहले ही मिल चुकी है जबकि भारतीय दवा नियंत्रक CDSCO इस पर विचार कर रही है। मॉलुनपिरविर को एमएसडी और रिजबैक बायोथेराप्युटिक्स ने तैयार किया है। वहीं, अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने भी अपनी कोविड-19 के लिए तैयार टैबलेट पैक्सलोविड (Paxlovid) के आपातकालीन उपयोगी की अनुमति मांगी है।
ये टैबलेट्स ओमीक्रॉन वेरियेंट के खिलाफ भी प्रभावी होंगे?
ओमीक्रोन वेरियेंट का पता अभी-अभी चला है। उस पर मोलुनपरिविर और पैक्सलोविड के असर की जांच ही नहीं की गई है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि दोनों टैबलेट के काम करने का तरीका ऐंटिबॉडीज या वैक्सीन के तरीके से इतर है, इसलिए ये टैबलेट ओमीक्रोन ही नहीं, कोरोना के किसी भी वेरियेंट के खिलाफ कारगर होंगे।
कोरोना के खिलाफ कैसे काम करते हैं ये टैबलेट्स?
मोलुनपिरविर एक न्यूक्लियोसाइड एनालॉग है जो वायरस के आरएनए को धता बताकर उसमें घुल-मिल जाता है। फिर वह वायरस के आरएनए में तूफान मचाता है जिससे वायरस निष्क्रिय हो जाता है। वहीं, पैक्सलोविड टैबलेट, प्रॉटीज की गतिविधि ही रोक देता है। प्रॉटीज एक एंजाइम है जो वायरस को रेप्लिकेट करने में मदद करता है।
कोविड टैबलेट की कीमत कितनी
भारत में रॉशे के एंटिबॉडी कॉकटेल की कीमत प्रति खुराक 60 हजार रुपए है और मरीज को दो खुराक की जरूरत होती है। वहीं, अमेरिका मोलुनपिरविर को 700 डॉलर (करीब 52,000 रुपये) प्रति टैबलेट की दर से खरीदने जा रहा है। हालांकि, भारत इसे बहुत कम कीमत पर खरीदने वाला है।