करीब दो दशक से बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं छात्र... विरोध में आज स्वास्थ्य मंत्री को लिखा खून से खत

रायपुर। शासकीय फिजियोथेरेपी कॉलेज में हॉस्टल, कॉलेज में खुद की ओपीडी, स्टाइपेंड बढ़ाने और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स शुरू करने के वर्षों पुराने मांगों को लेकर पिछले तीन दिनों से 150 छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। आज छात्रों ने शासकीय फिजियोथेरेपी कॉलेज में चार सूत्रीय मांगों को लेकर छात्रों ने आज विरोध प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं आज सभी छात्रों ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से मुलाकात कर उन्हें खून से लिखा खत सौंपा।

उन्होंने शासन पर आरोप लगाए हैं कि उनके कॉलेज की लगातार उपेक्षा की जाती रही है। इसके चलते चिकित्सा छात्रों को कई सुविधाओं से आज भी वंचित होना पड़ रहा है। अव्यवस्थाओं के बीच छात्र जैसे-तैसे पढ़ाई कर रहे हैं। इसे लेकर छात्रों ने प्रभारी प्राचार्य डाक्टर रोहित राजपूत को मांग पत्र सौंपा। साथ ही शासन से जल्द से जल्द मांगों को पूरा करने की अपील की है। छात्रों ने बताया कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी प्रदर्शन जारी रहेगा।

50 फीसदी मैनपॉवर से चल रहा फिजियोथेरेपी कॉलेज

प्रदेश के एक मात्र शासकीय फिजियोथेरेपी कॉलेज में 19 वर्ष बाद भी आधे मैनपॉवर के साथ काम चल रहा है। इसी के चलते जहां शिक्षा प्रभावित हो रही वहीं 20 पीजी की सीटों को लेकर भी राज्य सरकार ने प्रस्ताव को लटका दिया है। छत्तीसगढ़ में शासकीय फिजियोथेरेपी कालेज की शुरुआत 2002 में हुई थी। इसमें 50 ग्रेजुएशन की सीटों के आधार पर ही पद स्वीकृत थे।

इसमें भी शुरुआती समय में आधे पदों पर ही भर्ती की गई। अब करीब दो दशक होने को है। कॉलेज की स्थिति ऐसी ही है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यहां पर प्राचार्य, प्राध्यापक फिजियाेथेरेपी, सहायक प्राध्यापक, प्रदर्शक, आक्यूपेशनल थेरेपिस्ट जैसे कई पद अब तक भरे नहीं गए हैं। इधर जरूरत के आधार पर पीडियाट्रिक्स, आर्थोपेडिक, रिलैबिटेशन, न्यूरोलाजी, कार्डियो रेस्पिरेटरी चार विभागों में प्रत्येक में पांच-पांच पीजी सीटों की अनुमति देनी है। लेकिन पीजी सीटों के लिए पहले प्रोफेसर, एसोशिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर जैसे पदों पर भर्ती होना जरूरी है। इसे लेकर भी प्रस्ताव भेजा गया है।

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