नगरीय निकाय के चुनाव में जीत हासिल करने कांग्रेस-भाजपा ने झोंकी ताकत, कहां किसका पलड़ा भारी, देखिये ये खबर
नगरीय निकाय के चुनाव में जीत हासिल करने कांग्रेस-भाजपा ने झोंकी ताकत, कहां किसका पलड़ा भारी, देखिये ये खबर

रायपुर। छत्तीसगढ़ के 10 जिलों के 15 नगरीय निकाय में चुनाव प्रचार के आख़िरी दिन काफी धूम रही। 20 दिसम्बर को होने वाले मतदान के ठीक पहले कांग्रेस के साथ ही भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इस बीच राजनैतिक विश्लेषकों और मीडिया से जुड़े लोगों ने यह अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि किस नगरीय निकाय में किस पार्टी के बहुमत की संभावना ज्यादा है। TRP न्यूज़ ने भी ऐसा ही एक विश्लेषण तैयार किया है। आइये डालते हैं इस पर एक नजर :

नगर पालिक निगम बीरगांव : भोजपुरी समाज का वोट निर्णायक

बीरगांव में पूर्वांचल याने यूपी-बिहार के रहवासियों की बहुलता है और यहां इनके वोट निर्णायक होते हैं। बीरगांव में पिछली बार भाजपा का बहुमत रहा और यहां अम्बिका यदु महापौर के पद पर निर्वाचित हुई थीं, मगर इस बार यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा है। इसकी वजह पिछले डेढ़ सालों में इलाके के विधायक सत्यनारायण शर्मा के प्रयासों से यहां कराये गए लगभग डेढ़ सौ करोड़ के विकास कार्यो को बताया जा रहा है, वहीं भोजपुरी समाज ने इस बार अपनी रणनीति बदलते हुए जिस वार्ड से भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी भोजपुरी हैं वहां इनके द्वारा फैसला मतदाताओं पर छोड़ दिया गया है, मगर जिस वार्ड में दोनों प्रमुख दलों में से केवल एक से भोजपुरी प्रत्याशी मैदान में है, तो भोजपुरी समाज उसका खुलकर समर्थन कर रहा है। जानकारी के मुताबिक भाजपा के 4 और कांग्रेस के 3 प्रत्याशी भोजपुरी हैं। चर्चा के दौरान भोजपुरी समाज के लोग भी यह मान रहे हैं कि इस बार बीरगांव में कांग्रेस को बहुमत मिलने की सम्भावना है।

नगर पालिक निगम भिलाई : निर्दलीय प्रत्याशी होंगे निर्णायक की भूमिका में

70 वार्डों वाले भिलाई निगम में महापौर देवेंद्र यादव इस बार यहां से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर विधायक भी चुने गए हैं और माना जा रहा है कि वे इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी को यहाँ से बहुमत दिलाएंगे, मगर इस बार यहां का परिदृश्य कुछ बदला हुआ सा नजर आ रहा है। दरअसल भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने यहाँ पर अपनी ताकत झोंक दी है, और अनुमान है कि इस बार दोनों प्रमुख दलों के लगभग बराबर प्रत्याशी चुनाव जीतकर आएंगे, वहीं निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या भी अनुमान से ज्यादा होगी। यही निर्दलीय प्रत्याशी महापौर बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

नगर पालिक निगम रिसाली : गृहमंत्री के प्रतिष्ठा का निगम

रिसाली नगर निगम में पहली बार चुनाव होने जा रहा है और इसके अंतर्गत कुल 40 वार्ड आते हैं। यह इलाका प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यही वजह है कि गृहमंत्री के लिए रिसाली प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और उनके समर्थको ने यहां प्रचार-प्रसार में एड़ी -चोटी का जोर लगा दिया है। हालाँकि भाजपा भी इसमें पीछे नहीं है, मगर विश्लेषक बताते हैं कि जिस तरह रिसाली नगर निगम के गठन से लेकर अब तक यहां विकास कार्य हुए हैं और करोड़ों के कार्यों का शुभारम्भ हुआ है, उसे देखते हुए यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।

नगर पालिका परिषद जामुल : जोगी कांग्रेस भी मैदान में

20 वार्डों वाले नगर पालिका परिषद जामुल का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है, क्योंकि यहां कांग्रेस-भाजपा के अलावा जनता कांग्रेस “जोगी” भी चुनाव मैदान में है। पिछली बार यहां कांग्रेस पार्टी का बहुमत रहा और पार्टी की सरोजनी चंद्राकर महापौर चुनी गई थीं, मगर बताते हैं कि यहाँ की जनता की महापौर सरोजनी से कुछ नाराजगी रही है, इसका असर चुनाव में भी पड़ने की सम्भावना जताई जा रही है। जामुल इलाके में जनता कांग्रेस के ईश्वर उपाध्याय का भी काफी दबदबा है। कोरोना काल में उन्होंने जिस तरह का सेवा कार्य किया, उससे उनकी इलाके में काफी प्रतिष्ठा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां जनता कांग्रेस भी कुछ सीटें जीत सकती है और महापौर चुनने में इनकी निर्णायक भूमिका हो सकती है।

नगर पालिक निगम भिलाई-चरौदा : प्रदेश की सबसे हॉट सीट

दरअसल भिलाई चरौदा की यह सीट प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। पिछली बार जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तब यहां भाजपा की टिकट पर जितने वाली चंद्रकांता मांडले महापौर निर्वाचित हुईं और इस जीत के पीछे तत्कालीन मंत्री और चुनाव संचालक बृजमोहन अग्रवाल की प्रमुख भूमिका रही, मगर अब परिस्थितियां बदल गईं हैं। तब कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक रहे भूपेश बघेल आज प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। हालांकि भाजपा ने इस बार भी यहां का चुनाव प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल को ही बनाया है और चुनाव जीतने के लिए भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। बताया जा रहा है कि चरौदा में मुख्यमंत्री के खासम-खास सिपहसालार ने चुनाव की बागडोर संभाल रखी है, और उम्मीद जताई जा रही है कि यह सीट इस बार भाजपा से कांग्रेस पार्टी हथिया सकती है।

नगर पंचायत भैरमगढ़ और भोपालपटमान : विधायक की सक्रियता दिलाएगी जीत


बीजापुर जिले के इन दो नगर पंचायतों में कुल 15- 15 वार्ड आते हैं और यहां अब तक हुए दो चुनावों में शुरुआत में भाजपा और उसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इलाके से विधायक विक्रम मंडावी की सक्रियता और मिलनसारिता ही इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बहुमत दिलाएगी, ऐसा माना जा रहा है। नगर पंचायत भैरमगढ़ और भोपालपटमान में चुनाव प्रचार जोरों पर है और अनुमान लगाया जा रहा है कि वहां पिछली बार की तरह इस बार भी कांग्रेस पार्टी निकाय चुनाव में बाजी मारेगी।

नगर पालिका परिषद् खैरागढ़ : जनता की नाराजगी न कर दे नुकसान

राजनांदगांव की खैरागढ़ नगर पालिका परिषद् में इस बार भाजपा के प्रत्याशी हावी होते नजर आ रहे हैं। यहाँ धान खरीदी के दौरान किसानों को बारदानों की कमी के चलते काफी परेशानी हो रही है। इससे किसान काफी परेशान है और उनकी नाराजगी बढ़ी है। भाजपा ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया हैं। यहां दोनों प्रमुख दलों के बीच कांटे की टक्कर है।

नगर पंचायत नरहरपुर : कांकेर जिले के नगर पंचायत नरहरपुर में भी बारदाने की कमी का मुद्दा छाया हुआ है। यहां पिछली बार भी भाजपा से ही अध्यक्ष चुने गए थे। इस बार ऐसा ही कुछ होने की सम्भावना जताई जा रही है।

नगर पंचायत प्रेमनगर : 4 दशक से एक ही परिवार का कब्ज़ा

सूरजपुर जिले के प्रेमनगर पंचायत का गठन पिछली बार ही हुआ था। इससे पूर्व ग्राम पंचायत के रूप में प्रेमनगर में भाजपा समर्थित नेमसाय के परिवार का ही कब्ज़ा रहा। बीते 42 वर्षों से यहां कभी नेमसाय तो कभी उनकी पत्नी दुलार बाई सरपंच रही। पिछली बार जब नगर पंचायत का गठन हुआ तब दुलार बाई अध्यक्ष निर्वाचित हुई। इस बार इस दंपत्ति ने अगली पीढ़ी याने अपने बेटे पारस सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। इस बार भी माना जा रहा है कि प्रेमनगर की सीट पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी का कब्ज़ा रहेगा। आपको बता दें कि नेमसाय, सांसद कमलभान सिंह के ससुर हैं और प्रारम्भ से ही वे भाजपा के समर्थक रहे हैं।

नगर पालिका परिषद् सारंगढ़ : जिले की घोषणा का कांग्रेस को मिलेगा फायदा..?

रायगढ़ जिले की नगर पालिका परिषद् सारंगढ़ को कांग्रेस की सरकार ने नया जिला बनाया है और माना जा रहा है कि यह कदम पार्टी को लाभ पहुंचाएगा। यहां पिछली बार भाजपा से अमित अग्रवाल अध्यक्ष रहे। इस बार यहां के 22 नए गांवों को इस नगर पंचायत से जोड़ा गया है। हालाँकि यहाँ कांग्रेस-भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है, मगर बदली हुई परिस्थितियों में कांग्रेस के यहाँ मैदान मारने की उम्मीद जताई जा रही है।

नगर पालिका परिषद् बैकुंठपुर और शिवपुर चरचा : जिला गठन का विवाद नहीं बन पाया मुद्दा

कोरिया जिले की इन दोनों नगरीय निकायों के चुनाव के ठीक पूर्व एक और जिले के गठन और उसके बँटवारे का मुद्दा काफी हावी रहा और आखिर तक इसे लेकर आंदोलन चलता रहा। यहां तक कि सर्वदलीय मंच ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा तक कर दी। ऐन वक्त पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने नामांकन भरा। दोनों दलों के प्रमुख नेताओं ने यहाँ अपनी ताकत झोंक दी है, मगर पिछली बार की तरह इस बार भी इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के कब्जे का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि ऐन वक्त पर परिणामो में कुछ तब्दील भी हो सकता है।

नगर पंचायत मारो : भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

बेमेतरा जिले के आखिरी छोर पर स्थित नगर पंचायत मारो में भी वर्तमान में बारदाने का मुद्दा छाया हुआ है और अन्य मुद्दों के साथ ही भाजपा ने इसका भी किसानो की नाराजगी के नाम पर काफी प्रचार-प्रसार किया है। पूर्व में यह सीट भाजपा के पाले में थी और कहा जा रहा है कि कांग्रेस को यह सीट हथियाने में एड़ी-छोटी का जोर लगाना पड़ेगा।

नगर पंचायत कोंटा : आबकारी मंत्री के गढ़ में कौन मारेगा सेंध..?

सुकमा जिले का नगर पंचायत कोंटा प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा के विधानसभा कोंटा का ही एक हिस्सा है, और यह सभी को पता है कि यह इलाका कवासी लखमा के लिए अजेय है। अपने इलाके में लखमा काफी सक्रिय रहते हैं और इसका फायदा उन्हें अब तक मिलता रहा है। वार्डों में होने वाली चुनावी सभाओं में कवासी लखमा अपनी अनुशंसा से कराये गए करोड़ों के विकास कार्यों की फेहरिश्त गिनाते हैं। उधर भाजपा ने कोंटा नगर पंचायत में चुनाव की बागडोर पूर्व मंत्री केदार कश्यप को दे रखी है और वे भी हर वार्ड में जाकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इन सब प्रयासों के बावजूद यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।

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