संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले 300 से अधिक IAS अधिकारियों पर सतर्कता निगरानी बढ़ाने की अनुशंसा
संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले 300 से अधिक IAS अधिकारियों पर सतर्कता निगरानी बढ़ाने की अनुशंसा

नई दिल्ली। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के उन अधिकारियों पर सतर्कता की निगरानी बढ़ाए जाने की अनुशंसा की गई है जिन्होंने अभी तक संपत्ति रिटर्न दाखिल नहीं किया है। कार्मिक, कानून और न्याय पर गठित संसदीय स्थायी समिति ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को इस सम्बन्ध में पत्र लिखा है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के ऐसे 316 दोषी अधिकारियों की पहचान की गई है जो 2020 के लिए वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न (आईपीआर) दाखिल करने में विफल रहे हैं। 1 जनवरी, 2021 तक ऐसे आईएएस अधिकारियों की संख्या 349 थी, लेकिन 33 अधिकारियों ने बाद में रिटर्न दाखिल किया, जिससे 316 डिफॉल्टिंग सेगमेंट में रह गए।

संसद के पैनल ने पिछले सप्ताह संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि “गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सतर्कता मंजूरी को रोकने के अलावा अन्य कड़े कदम उठाने चाहिए।” ऐसे अधिकारियों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सिफारिश करते हुआ पैनल ने कहा कि यह चिंता का विषय है।

अधिकारियों के लिए ये है नियम

अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 (नियम 16 ​​(2)) सेवा के प्रत्येक सदस्य को उसके नाम पर लीज या गिरवी पर विरासत में मिली, स्वामित्व वाली, अर्जित या धारित अचल संपत्ति का विवरण देते हुए, वार्षिक रिटर्न जमा करने के लिए अनिवार्य करता है। या उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर हो। नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि किसी भी अधिकारी को सतर्कता मंजूरी से वंचित कर दिया जाएगा यदि वह पिछले वर्ष की अपनी वार्षिक आईटीआर 31 जनवरी तक जमा करने में विफल रहते हैं।

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