बड़ी खबरः 15 जनवरी तक आ सकती है मदनवाड़ा नक्सली कांड की जांच रिपोर्ट

रायपुर। राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा क्षेत्र में 12 जुलाई 2009 में हुए नक्सली कांड की जांच रिपोर्ट 15 जनवरी तक आ सकती है। बता दें कि इस घटना की जांच के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया गया है। यह जांच आयोग ही संभवतः 15 जनवरी तक इस मामले में जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप सकती है।

राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा के पास 12 जुलाई 2009 में हुए नक्सली हमले में राजनांदगांव जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे सहित 29 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। इस घटना की एफआईआर मानपुर थाने में दर्ज हुई थी।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आयोग के गठन की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित भी कर दी है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश न्यायमूर्ति शंभुनाथ श्रीवास्तव इस घटना की जांच कर रहे हैं। न्यायमूर्ति श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ प्रमुख लोकायुक्त रह चुके हैं। हालांकि इस जांच आयोग को 6 माह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करना था। मगर आयोग के गठन को दो साल पूरे हो चुके हैं इसके बाद भी मामले का सच सामने नहीं आ सका है।

इन बिंदुओं पर केंद्रित रहेगा आयोग

  1. यह घटना किन परिस्थितियों में हुई थी।
  2. क्या घटना को घटित होने से बचाया जा सकता था।
  3. क्या सुरक्षा की निर्धारित प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन किया गया था।
  4. किन परिस्थितियों में एसपी और अन्य सुरक्षाबलों को उस अभियान में भेजा गया।
  5. एसपी व जवानों के एम्बुश में फंसने पर क्या अतिरिक्त बल उपलब्ध कराया गया, अगर हां तो स्पष्ट करना है।
  6. मुठभेड़ में माओवादियों को हुए नुकसान और उनके मरने और घायल होने की जांच।
  7. सुरक्षाबलों के जवान किन परिस्थितियों में मरे अथवा घायल हुए।
  8. घटना से पहले, उसके दौरान और बाद के मुद्दे जो उससे संबंधित हों।
  9. क्या राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के बीच समुचित समन्वय रहा है।

अफसरों के मुताबिक 12 जुलाई 2009 को मदनवाड़ा कैंप से बाहर निकले जवानों पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया। इसमें दो जवान शहीद हो गए। घटना की सूचना मिलते ही तत्कालीन एसपी विनोद चौबे कुछ और जवानों को लेकर मदनवाड़ा कैंप के लिए निकले। महका पहाड़ी में कारेकट्टा और कोरकोट्टी गांवों में लगे एम्बुश में फंसने के कारण यहां पर एसपी सहित 25 पुलिसकर्मी शहीद हुए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सितम्बर 2019 में शहीद एसपी विनोद चौबे की पत्नी रंजना चौबे की मांग पर आयोग के गठन की घोषणा की थी।

मदनवाड़ा में उस दिन क्या हुआ था

अफसरों के मुताबिक 12 जुलाई 2009 को मदनवाड़ा कैंप से बाहर निकले जवानों पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया। इसमें दो जवान शहीद हो गए। घटना की सूचना तक तत्कालीन एसपी विनोद चौबे अपने साथ कुछ और जवानों को लेकर मदनवाड़ा कैंप के लिए निकले। महका पहाड़ी में कारेकट्टा और कोरकोट्टी गांवों के बीच यह दल भी माओवादियों के एम्बुश में फंस गया। यहां पर एसपी सहित 25 पुलिसकर्मी शहीद हुए।

इस हमले में इनकी भी हुई थी शहादत

निरीक्षक विनोद ध्रुव, उप निरीक्षक धनेश साहू, उप निरीक्षक कोमल साहू, प्रधान आरक्षक गीता भंडारी, प्रधान आरक्षक संजय यादव, प्रधान आरक्षक जखरियस खलखो, आरक्षक रजनीकांत, आरक्षक लालबहादुर नाग, आरक्षक निकेश यादव, आरक्षक वेदप्रकाश यादव, आरक्षक श्यामलाल भोई, आरक्षक बेदूराम सूर्यवंशी, आरक्षक लोकेश छेदैया, आरक्षक अजय भारद्वाज, आरक्षक सुभाष बेहरा, आरक्षक रितेश देशमुख, आरक्षक मनोज वर्मा, आरक्षक अमित नायक, आरक्षक टिकेश्वर देखमुख, आरक्षक मिथलेश साहू, आरक्षक प्रकाश वर्मा, आरक्षक सूर्यपाल वट्टी, आरक्षक झाडूराम वर्मा, आरक्षक संतराम साहू, प्रधान आरक्षक दुष्यंत राठौर और सुंदरलाल चौधरी।