कोरबा। एसईसीएल के खिलाफ भूविस्थापितों का आंदोलन लगातार जारी है। आज छत्तीसगढ़ किसान सभा ने SECL के गेवरा कार्यालय का घेराव किया और एक गेट पर ट्रैक्टर अड़ा दिया और दूसरे गेट पर प्रदर्शनकारी धरना देकर बैठ गए, जिससे कार्यालय में आवाजाही बंद हो गई और घंटों कामकाज भी बंद रहा। भूविस्थापितों की समस्याएं हल न होने पर किसान सभा ने 2 मार्च को खदान बंदी की चेतावनी भी प्रबंधन को दे दी है।
रोजगार-मुआवजे के अलावा सुविधाओं से भी वंचित हैं भूविस्थापित
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने एक माह पूर्व ही गेवरा महाप्रबंधक को पुनर्वासित गांवों में बुनियादी मानवीय सुविधाएं उपलब्ध कराने और भूविस्थापितों को नियमित रोजगार एवं मुआवजे की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा था, लेकिन इन मांगों पर एसईसीएल प्रबंधन ने कोई पहल नहीं की। इससे आक्रोशित सैकड़ों ग्रामीणों ने आज गंगानगर से रैली निकालकर चार किमी. दूर गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर दिया और दोनों गेट को तब तक जाम रखा, जब तक अधिकारियों ने आकर किसानों से बातचीत नहीं की।
किसान सभा के नेताओं ने बताया कि SECL द्वारा अभी तक बुनियादी मानवीय सुविधाओं के साथ पर्याप्त बसाहट नहीं दी गई है और न ही यहां के लंबित रोजगार प्रकरणों का निराकरण किया गया है। इन्हें बिजली और पानी की सुविधा निःशुल्क देने के साथ ही सभी प्रभावित छोटे-बड़े खातेदारों को स्थाई नौकरी एसईसीएल को देना होगा। पुनर्वास गांव गंगानगर में तोड़े गये मकानों और शौचालयों का क्षतिपूर्ति मुआवजा और ग्राम भठोरा के चौथे चरण के अधिग्रहण में 2016-17 से लंबित मकानों एवं अन्य परिसंपत्तियों का मुआवजा तत्काल देने की भी उन्होंने मांग की। नेताओं ने आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य स्थानीय बेरोजगारों को देने तथा भूविस्थापित प्रमाण पत्रों को बनाने की प्रक्रिया को सरल करने की भी मांग की है।
2 मार्च को खदान बंद करने की चेतावनी
इन मांगों के संबंध में 15 दिनों के अंदर सकारात्मक पहलकदमी करने का आश्वासन एसईसीएल अधिकारियों ने दिया है, जिसके बाद घेराव खत्म तो हुआ, लेकिन किसान सभा ने समस्याएं हल न होने पर 2 मार्च को गेवरा खदान बंद करने की चेतावनी भी दी है।
इस आंदोलन में प्रशांत झा, दीपक साहू, जवाहर सिंह कंवर, शिवरतन, मोहपाल, हरीश कंवर, देव कुंवर, तेरस बाई, राजकुमारी, शशि, पुरषोत्तम, संजय यादव, रघु, रामायण सिंह कंवर, जय कौशिक, अनिल बिंझवार, बसंत, किशन, उमेश, अनिल के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान शामिल हुए।
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