टीआरपी डेस्क। आम तौर पर पुलिस किसी घटना की अहम जांच-पड़ताल के दौरान जरूरी सबूत जुटाने के लिए DNA टेस्ट करवाती है। मगर छत्तीसगढ़ में हाथियों का डीएनए टेस्ट करवाया जा रहा है। जी हां, पहली बार में यह बात सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। दरअसल यहां हाथियों का डीएनए टेस्ट करवाए जाने के पीछे की वजह बहुत ही खास है। राज्य में वन विभाग ने अब तक 10 हाथियों के खून और मल के नमूने लिए हैं। इसके जरिए इनका डीएनए टेस्ट किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वन विभाग के इस कदम के पीछे उसका मकसद है कि हाथियों की अवैध खरीद-बिक्री पर लगाम लगाया जा सके। इसके अलावा हाथी अंगों के व्यापार को रोकने में भी वन विभाग इस कदम को बेहद अहम मान रहा है। प्रदेश में जंगली हाथियों की संख्या 300 से करीब है, लेकिन पालतू हाथियों की संख्या कम है। हाथियों के डीएनए जांच के बाद इनका एक डेटा बेस तैयार किया जाएगा।
जांच के बाद इन हाथियों को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा। इसके जरिए इसके अवैध खरीद-फरोख्त पर रोक लगेगी। पालतू हाथियों का डाटा बेस तैयार होने पर इनकी आयु, आनुवांशिकता समेत अन्य कई बिंदुओं की जानकारी मिल सकेगी।
देश भर में निजी लोगों के पास हाथियों की संख्या अधिक है। इन हाथियों के बारे में विभाग को जानकारी मिल नहीं पाती है। इस कारण हाथी के बच्चों और दांत आदि बेचने पर पता नहीं चल पाता था, लेकिन अब डीएनए टेस्ट के बाद अवैध तरीके से हाथियों को खरीदने-बेचने की प्रक्रिया पर रोक लगेगी।
जब कभी हाथी के अंग बरामद होते हैं तो उसके डीएनए से पता लग जाएगा कि यह हाथी पालतू था या फिर जंगली। पालतू होने पर उसकी पूरी डिटेल निकालने के बाद जरूरी कार्रवाई विभाग के लिए आसान हो जाएगी। वहीं दूसरी तरफ रिसर्च के दौरान भी सहायक होगा।
Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्राम, कू और वॉट्सएप, पर…