रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर पड़ सकता है बुरा असर, महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल
रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर पड़ सकता है बुरा असर, महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल

टीआरपी डेस्क। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर धीरे-धीरे जनता की जेब पर भी पड़ने लगा है। युद्ध के माहौल के बीच महंगाई तेजी से बढ़ रही है। कच्चे तेल की कीमत ने महंगाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दरअसल, आज ब्रेंट क्रूड आयल की कीमत पांच डॉलर प्रति बैरल महँगी हो गई है।

ब्रेंट क्रूड आयल के दाम में हुए इस चढ़ाव के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुकी है। तेल के दाम में तेजी आने से भारत समेत दूसरे देशों पर इसका बुरा असर होने वाला है।

भारत में पेट्रोल-डीज़ल के दाम में लगेगी आग

जानकारों के अनुसार, रूस-यूक्रेन का युद्ध अगर इसी तरह लगातार बढ़ता है तो कच्चे तेलों की कीमत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर बुरा असर पड़ेगा। जिससे देश में पेट्रोल-डीजल 10 से 15 रुपये तक महंगे हो सकते हैं। बता दें ऐसा होने पर भारत में रोजमर्रा की चीजें भी महँगी हो सकती है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के अनुरूप देश में खाने-पीने की चीजों पर महंगाई भी बढ़ेगी, ऐसा इसलिए क्योंकि माल ढुलाई का खर्च बढ़ जाएगा।

600 अरब डॉलर हो सकता है भारत का आयात बिल

कल रेटिंग एजेंसी इंडिया की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, आशंका जताई जा रही है कि यूक्रेन में जारी संकट के चलते वर्तमान वित्त वर्ष में देश का आयात बिल बढ़कर 600 अरब अमेरिकी डॉलर हो सकता है। दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक के आयात पर पुरी तरह से निर्भर है, जबकि बीते दिनों से यह देखा जा सकता है कि किस तरह रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भारतीय मुद्रा पर पड़ रहा है जो लगातार नीचे गिर रहा है।

भारत में 85 फीसदी कच्चे तेल का होता है आयात

बता दें भारत लगभग 85 प्रतिशत कच्चा तेल और 50 प्रतिशत नैचुरल गैस अन्य देशों से आयात करता है। इसलिए इस युद्ध के कारण अगर इन दोनों की कीमत अंतर्राष्ट्रीय मार्केट (International Market) में बढ़ती है तो गौरतलब है कि भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का दाम आसमान छू रहा है जबकि दूसरी तरफ गैस के दाम भी बढ़ गए है। यही वजह है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डॉलर पार पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

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