महासमुंद : जहाँ एक ओर शानदार सड़क बनते ही किसी स्थान तक जाने के लिए सुविधा हो जाती है। वहीं दूसरी ओर यही शानदार सड़क कितनों के काल का रुप ले लेती है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह होती है अच्छी सड़क पर अनियंत्रित रफ्तार। कुछ ऐसा ही इन दिनों देखने को मिल रहा है राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 पर पटेवा से झलप तक 18 किमी दूरी के अंदर। यह 18 किलोमीटर की दूरी मौत का इलाका साबित हो रही है। खासकर रात का सफर इस फोरलेन पर बेहद खतरनाक हो गया है। गाडिय़ों की अनियंत्रित रफ्तार ही मौत को अपनी तरफ खींच रही है। पटेवा से झलप तक दुर्घटना का सबसे बड़ा हॉट-स्पॉट बना हुआ है। क्योंकि, चार महीने में 10 लोगों की मौत हो चुकी है।

फोरलेन सड़क पर सड़क किनारे खड़े वाहन भी ऐसे हादसों की बड़ी वजह हैं। कई बार वाहन चालकों की नज़र सड़क किनारे खड़े वाहनों पर नहीं पड़ती, और जब तक ध्यान उन वाहनों तक जाता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है और दुर्घटना हो जाती है। ऐसा तेज रफ्तार के कारण ही होता है। एक ऐसी ही घटना मंगलवार की रात को हो गई। मंगलवार की रात तोरला पड़ाव के पास खड़े ट्रेलर से मोटरसाइकिल की टक्कर हो गई। इस हादसे में मौके पर ही तीन लोगों की मौत हो गई।

बता दें कि इस साल के फरवरी माह में जिले के अंदर 41 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। इन हादसों में 20 लोगों की मौत हुई और 69 लोग घायल हुए। इसके पहले जनवरी माह में भी 30 हादसे हुए थे। जिनमें 14 की मौत व 23 लोग घायल हुए। इतनी दुर्घटनाओं के बाद भी लोग वाहन चलाने में सतर्कता नहीं बरत रहे हैं।

1291 लोगों का कटा चालान

यातायात विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 1 जनवरी 2022 से 28 फरवरी 2022 तक जिले में कुल 1291 लोगों पर चालानी कार्रवाई की गई है। जिससे जुर्माने के रूप में कुल 4 लाख 86 हजार 900 रुपयों की वसूली हुई है। ये कार्रवाई तीन सवारी होने, सीट बेल्ट नहीं लगाने वाले और ओवरलोड ट्रक आदि पर की गई है। हालांकि, कार्रवाई के बाद भी लोग एक ही बाइक पर चार लोगों को बैठाकर तक वाहन चलाते नजर आ जाते हैं।

यातायात संकेतक का अता पता नहीं

पटेवा-झलप मार्ग में लगातार होते हादसों को देखते हुए मार्ग पर रंबल स्क्रीप और यातायात संकेतक लगाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन उसका कृयान्वयन नहीं हो पाया। यातायात संकेतकों का आज तक अता-पता नहीं है। इस तरह एक और योजना केवल कागज तक ही सीमित रह गई है। ट्रैफिक डीएसपी राजेश देवांगन का कहना है कि वे खुद ही स्थल पर जाकर मामले का निरीक्षण करेंगे और सड़क किनारे में खड़ी गाडिय़ों पर कार्रवाई भी की जाएगी। यातायात संकेतक लगाने का प्रयास भी किया जा रहा है।

ब्लैक और ग्रे-स्पॉट बेअसर

यातायात विभाग ने बताया कि जिले में कुल 9 ब्लैक स्पॉट हैं और पांच ग्रे स्पॉट हैं। सड़क पर ब्लैक स्पॉट का अर्थ अत्यधिक दुर्घटनाजन्य क्षेत्र होता है और ग्रे-स्पॉट का अर्थ दुर्घटनाजन्य क्षेत्र। ग्रे-स्पॉट की तुलना में ब्लैक स्पॉट अधिक खतरनाक होता है। इन जगहों पर वाहन चालकों को विशेष सावधानी के साथ वाहन चलाना होता है। हालांकि ब्लैक स्पॉट और ग्रे-स्पॉट चिन्हांकित करने के बाद भी लोगों की रफ्तार उसी तरह जारी रहती है और बिना हेलमेट और अन्य लापरवाही के साथ लोग दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।

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