यूपी में प्रो इंकम्बेंसी, भाजपा की वापसी उत्तराखंड ,गोवा मणिपुर भी हुए केसरिया
श्याम वेताल

वाह भाई…..! पंजाब के लोगों ने कमाल कर दिया। जी हां …. पंजाब में हुई प्रचंड जीत के बाद अपने पहले संबोधन में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यही कहा। केजरीवाल ने यह भी कहा कि पंजाब के लोगों ने इंकलाब लाया है।
ऐसा ही इंकलाब पहले दिल्ली के लोगों ने लाया था, अब पंजाब ने यह कर दिखाया है। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से चार में भाजपा का परचम लहराया है लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी ने न केवल भाजपा को बल्कि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को भी सर नहीं उठाने दिया।
देश के सबसे बड़े और 403 सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भी एक कमाल हुआ। इस राज्य में पिछले तीन दशकों से किसी भी पार्टी की सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं लौटी लेकिन योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता में दोबारा लौटने का अवसर मिल गया है। यहां चुनाव प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की सभाओं में जिस तरह भीड़ उमड़ रही थी उसे देखते हुए सभी यह अनुमान लगा रहे थे कि राज्य में समाजवादी सरकार आ रही है लेकिन बिहार की तरह यहां भी भीड़ वोट में नहीं तब्दील हो पाई।
याद करें बिहार विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा या जेडीयू के नेताओं की सभाओं से ज्यादा भीड़ राजद के तेजस्वी यादव की सभाओं में आ रही थी लेकिन उनकी पार्टी को सरकार बनाने लायक वोट नहीं मिले। उत्तर प्रदेश में भी अखिलेश यादव को जितनी सीटें मिलीं हैं वे सत्ता में आने के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से बहुत दूर हैं। वास्तव में ,अखिलेश यादव ने भरपूर परिश्रम किया जिसके परिणामस्वरूप समाजवादी पार्टी को पिछले चुनाव के मुकाबले लगभग 80 सीटें ज्यादा हासिल हुई और वोट प्रतिशत भी 29 से 33 तक पहुँच गया।
जहां तक उनकी असफलता का प्रश्न है , उसके लिए भाजपा का अखिलेश और उनकी पार्टी के खिलाफ किया गया दुष्प्रचार है। भाजपा ने अखिलेश को दंगेश ,आज का औरंगजेब , तमंचा धारी और माफिया कहा। यह भी कहा गया कि लाल टोपी वाले रेड अलर्ट हैं . लोगों को यह भय दिखाया गया कि यदि समाजवादी पार्टी जीत गयी तो प्रशासन पर गुंडों और माफिया का राज होगा। यह ऐसा डरावना सच था जो आम जनता भुगत चुकी थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उत्तर प्रदेश में पिछले पांच सालों में अपराधों में उल्लेखनीय कमी आयी है। लोग फिर उत्तर प्रदेश को अपराध प्रदेश के रूप में नहीं देखना चाहते थे इसलिए मतदाताओं ने भाजपा को दोबारा मौका दिया।
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से रिकॉर्ड मतों से विजयी हुए लेकिन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे। हालांकि भाजपा को पिछले चुनाव के मुकाबले 50 – 55 सीटें कम मिलीं हैं फिर भी इतनी हैं कि वह अपने दम पर टिकाऊ सरकार बना लेगी।
पंजाब की बात करें तो चुनाव परिणामों ने साबित कर दिया कि यहाँ आम आदमी पार्टी की सुनामी थी। 117 सीटों में 90 से ज्यादा सीटों पर जीत की कल्पना तो शायद अरविन्द केजरीवाल ने भी नहीं की होगी लेकिन पंजाब के मतदाताओं को केजरीवाल का दिल्ली गवर्नेंस मॉडल भा गया। इसके अलावा , सत्तारूढ़ कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह ने ‘आप ‘ पर भरोसा करने के लिए मजबूर कर दिया। नतीजा यह रहा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री आप की आंधी में उड़ गए। इतना ही नहीं ,पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हार गए। यहाँ अकाली दल और भाजपा को भी लोगों ने नकार दिया।
बहरहाल , दिल्ली के बाद पंजाब की हाहाहूत सफलता भविष्य का यह भी संकेत देती है कि ‘आप ‘ की नीतियां जिस पैमाने पर पसंद की जा रहीं हैं , वह दिन दूर नहीं जब देश के कई राज्यों में ‘आप ही आप ‘ का परचम लहराता दिखलाई पड़ेगा।
देश के अन्य तीन और राज्यों उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए चुनाव में भाजपा सफल हुई है। उत्तराखंड में अच्छा खासा बहुमत जरूर हासिल हुआ है लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए। गोवा में भाजपा को तीसरी बार सरकार बनाने का मौका मिल रहा है जबकि मणिपुर जैसे पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा की सफलता सराहनीय है।
बहरहाल , चार राज्यों में बनने वाली भाजपा की सरकारों के लिए अभिभावक के रूप में केंद्र की मोदी सरकार रहेगी जिसके कारण इन राज्यों की सरकार के समक्ष विकास कार्य में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है लेकिन पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई में गठित होने वाली पहली आप सरकार के सामने कई – कई चुनौतियां आने वाली हैं। राज्य के सामने आतंकवाद , मादक द्रव्य , भ्रष्टाचार और किसानो से सम्बंधित समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं। आप सरकार को इनका जल्द से जल्द समाधान ढूँढना होगा।
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