बकरी को लेकर शुरू हुआ था झगड़ा, 10 सालों में हुई कई हिंसा की घटनाएं, बहा दस लोगों का खून

कोलकाता। बीरभूम में हुई हिंसा ने बड़ी संख्या में रामपुरहाट कस्बा छोड़कर पलायन करने को मजबूर कर दिया हैं। हिंसा के बाद तनाव का माहौल है और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद कई घरों में आग लगा दी गई जिसमें जलकर 8 लोगों की मौत हो गई है।

गांव के पश्चिम में रहने वाले कालू शेख ने कहा कि मरने वालों में सभी महिलाएं थीं और दो बच्चे थे। सोमवार को रात 10 बजे के आसपास गांव में तबाही मची। इसके बाद बुधवार को 23 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। बारशल पंचायत के तहत पांच गांव आते हैं। इन गांवों में पिछले 10 सालों में हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

कालू शेख के अनुसार फतीक शेख के घर से सात शव निकाले गए। औऱ फातिक शेख का शव धान के खेतों से मिला हालांकि पुलिस ने कहा कि यह कोरी अफवाह है। गांव की सड़क के किनारे संजू शेख का घर है। आगजनी की घटना के बाद संजू शेख के घर से भी तीन लोगों को घायल हालत में निकाला था। इनमें से एक की अस्पताल में मौत हो गई। घटना के संबंध में पश्चिमपाड़ा की रहने वाली काजल शेख ने कहा कि भादू शेख, फातिक शेख और संजू शेख के परिवार के बीच 10 साल पहले दुश्मनी शुरू हुई थी। खेत में बकरी चरने के मामले में एक बार उनके बीच झगड़ा हो गया था। जिसके जिसके परिणामस्वरूप इन 10 सालों में करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल जनवरी में भादू के बड़े भाई बाबर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।’

काजल शेख ने कहा कि झगड़े का मेन मुद्दा यह है कि संजू शेख और फातिक शेख बोगतुई के रहने वाले नहीं हैं। वे मोरग्राम गांव के रहने वाले थे जो कि रामपुरहाट से 50 किलोमीटर की दूरी पर हैं। एक स्थानीय महिला से शादी करने के बाद वे यहीं रहने लगे थे। संजू के पिता सोना शेख 22 साल पहले यहां आए थे। इसके बाद एक-एक करके उनका परिवार यहीं बसने लगा। गांव के लोगों का कहना है कि ये लोग घुसपैठिए हैं जो कि बाहर से आकर गांव में कब्जा करने लगे। भूमि को लेकर भी उन लोगों में आपस में विवाद रहता था।

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