Bilaspur ED Breaking News- बिलासपुर प्रमोद जैन के घर में ईडी की जांच
Bilaspur ED Breaking News- बिलासपुर प्रमोद जैन के घर में ईडी की जांच

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने ED को RTI के दायरे में शामिल न करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि भ्रष्टाचार और मानवाधिकार से जुड़े मामलों में सूचनाएं देने से प्रवर्तन निदेशालय इनकार नहीं कर सकता। सूचना अधिकार अधिनियम का प्रावधान खुफिया और जांच एजेंसियों पर भी लागू होता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया के इन एजेंसियों को जांच और खुफिया अभियान से जुड़ी जानकारी नहीं देने का अधिकार है।

दरअसल प्रवर्तन निदेशालय के प्रशासनिक विभाग में कार्यरत एक महिला अधीक्षक ने आरटीआई के तहत ईडी से 1991 से अब तक के निचले संभागी लिपिकों की वरिष्ठता सूची से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की थी। इसके साथ ही विभागीय पदोन्नति समिति के समक्ष रखे गए प्रतिवादी एलडीसी की पदोन्नति से जुड़ी सूचना भी मांगी थी। जिसे देने से प्रवर्तन निदेशालय ने इनकार कर दिया था। जिसके बाद महिला ने इस संबंध में केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। जिसपर केंद्रीय सूचना आयोग ने ईडी को जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे।

7 दिसंबर 2018 को केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रवर्तन निदेशालय को सूचना का अधिकार के तहत जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। इस आदेश को ईडी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसे 7 दिसंबर 2018 को खारिज करते हुए एकल पीठ ने सीआईसी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद एकल पीठ के इस निर्णय को ईडी ने द्वीसदस्यीय पीठ के समक्ष चुनौती दी थी। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति सुधीर सुधीर कुमार जैन की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश पर रोक लगाने की ईडी की मांग को खारिज कर दिया, और साथ में टिप्पणी की कि “मेरी राय में यदि खुफिया और सुरक्षा प्रतिष्ठान में काम करने वाले कर्मचारियों को उनके मौलिक और कानूनी अधिकारों से वंचित करते हैं तो इसका अर्थ होगा कि इन संगठनों में सेवा करने वालों के पास कोई मानवाधिकार नहीं है।”

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