अब सीएम योगी ने दिए लखनऊ का नाम बदलने के संकेत
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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि बांग्लादेश से विस्थापित हिंदू परिवारों को पुनर्वास के लिए दी गई जमीन को आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह जिम्मेदारी नगर विकास विभाग को देते हुए कहा कि इसे ऐसे विकसित किया जाए ताकि महिलाओं और पुरुषों को रोजगार भी मिल सके।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ में 63 विस्थापित परिवारों को कृषि एवं आवासीय पट्टा स्वीकृति पत्र देते हुए लोगों को संबोधित कर रहे थे। सीएम ने कहा कि ये परिवार वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए थे। हस्तिनापुर में एक सूत मिल में इन्हें नौकरी दी गई। 1984 में सूत मिल बंद हो गई। मिल बंद होने के बाद इन परिवारों का पुनर्वास देश में अलग-अलग हिस्सों में हुआ। अब तक 65 परिवार थे, जो पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे थे। दो परिवार तो खत्म हो गए। अब कानपुर देहात के रसूलाबाद में 63 हिंदू बंगाली परिवारों के पुनर्वासन के लिए कृषि भूमि का पट्टा, आवासीय पट्टा और मुख्यमंत्री आवास योजना के स्वीकृति पत्र वितरित किए गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्हें 52 वर्षों में किसी ने भी सुध नहीं ली। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर क्यों इन लोगों की सुध नहीं ली गई। क्यों थारू, वनटांगिया और अन्य जातियों को कोई सरकारी योजना की मदद नहीं दी गई। क्यों सरकारों का ध्यान इस ओर नहीं गया। सीएम ने कहा कि भारत ने दूसरे देश से विस्थापितों को जगह दी। परिवार भले ही 63 हैं लेकिन आबादी 400 लोगों की है। केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति से ऐसे परिवारों को जगह दी गई। 1.08 लाख परिवारों को आवास मिला। ये बांग्लादेशी हिन्दू परिवार हैं, जिनको अब हक मिला। ये गुहार लगाते थे, लेकिन संवेदनहीन सरकारें सुनती नहीं थीं। 2017 से अब तक हमने मिलकर काम किया। वनटांगिया लोगों ने पहली बार मतदान में भाग लिया। यह हमारी सरकार की ही एक बड़ी उपलब्धि है।

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