कटघोरा-डोंगरगढ़ रेल परियोजना में आंशिक संशोधन हेतु सीएम ने केंद्रीय रेलमंत्री को लिखा पत्र

टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ में अब खेतों से ईंधन निकालने की तैयारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि गन्ना और मक्का से एथेनॉल बनाने के प्लांट लगाए जा रहे हैं। मक्का से एथेनॉल बनाने का कारखाना कोंडागांव और गन्ने से एथेनॉल बनाने का प्लांट कवर्धा में लग रहा है।

सीएम ने आगे कहा कि जल्द ही इन जगहों से प्रोडक्शन शुरू होगा। एथेनॉल का इस्तेमाल गाड़ियों में पेट्रोल की तरह ही किया जा सकेगा और लोगों को महंगे पेट्रोल से राहत मिलेगी। इसकी कीमत 50 से 60 रुपए के आस-पास हो सकती है। इस वक्त पेट्रोल के लिए लोगों को 111 रुपए देने पड़ रहे हैं।

राज्य की मांग धान से बने एथेनॉल

गुरुवार को रायपुर आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि एथेनॉल बनाने पर छत्तीसगढ़ काम करे यह भविष्य का फ्यूल है। इससे किसान अन्नदाता से ऊर्जादाता बनेगा। इस पर मीडिया से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा- हमारा तीन साल पुराना प्रस्ताव है भेजने वाली बात ही नहीं है, पहले से प्रस्ताव है जब से हमारी सरकार बनी है उसके दूसरे महीने ही प्रस्ताव भेज दिया था कि हमें धान से एथनॉल बनाने की अनुमति दिया जाए। ये अनुमति नहीं मिली है इसका रेट भी तय नहीं किया गया है। यदि धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति मिलती है तो इससे केंद्र, राज्य सरकार, किसान और आम आदमी का अधिक फायदा होगा। क्योंकि यहां धान की पैदावार अधिक है। इस पर केंद्र सरकार को अधिक ध्यान देना चाहिए।

समझिए क्या है एथेनॉल

एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है। ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत गाड़ियां 100 फीसदी एथेनॉल से चलती हैं, यही नहीं बाकी गाड़ियां भी 24 फीसदी इथेनॉल मिला ईंधन उपयोग कर रही हैं। स्वीडन और कनाडा में भी एथेनॉल पर गाड़ियां चल रही है।

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