सूचना का अधिकार

रायपुर। राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ के सभी निजी विश्वविद्यालय भी सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में आते हैं और आवेदक को सूचना देना उनका कर्तव्य है।

अशोक अग्रवाल छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ के निजी विश्वविद्यालयों के लिए आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। अधिनियम की जानकारी पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से दी गयी| अग्रवाल ने राज्य के 15 निजी विश्वविद्यालयों के जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि “सूचना का अधिकार अधिनियम को ठीक से पढ़ लेने से ही अधिकतर प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं और अपील की स्थिति निर्मित नहीं होती है।”

भ्रामक जानकारी पर की जा सकती है शिकायत

अशोक अग्रवाल ने इस मौके पर कहा कि सूचना में देरी होने पर संबंधित विश्वविद्यालय का जन सूचना अधिकारी जिम्मेदार होता है, तथा प्रार्थी भ्रामक जानकारी मिलने पर सीधे राज्य सूचना आयोग में शिकायत कर सकता है। कार्यशाला में निजी विश्वविद्यालयों को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की अलग-अलग धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया तथा उन्हें तृतीय पक्ष और गोपनीय दस्तावेजों के संबंध में भी जानकारी दी गयी।

वेबसाइट में जानकारियां साझा करें

कार्यशाला में यह जानकारी भी दी गयी कि ऑनलाइन वेबसाइट पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्रकाशित करने पर लोगों को स्वतः जानकारियां मिलेंगी और इससे जानकारी मांगने के आवेदनों में कमी आएगी। कार्यशाला में निजी विश्वविद्यालयों के जन सूचना अधिकारियों ने राज्य सूचना आयुक्त से सूचना का अधिकार अधिनियम से संबंधित सवाल भी पूछे जिसका राज्य सूचना आयुक्त ने जवाब दिया।

छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के नया रायपुर स्थित कार्यालय में आयोजित इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ आयोग के सदस्य प्रशासनिक ब्रजेश चंद्र मिश्र समेत प्रदेश के 15 निजी विश्वविद्यालयों के जन सूचना अधिकारी तथा प्रथम अपीलीय अधिकारी उपस्थित थे।

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