TRP डेस्क : टॉय ट्रेन शब्द सुनते ही हमारे मन में ट्रेन के छोटे छोटे डिब्बों की छवि पहाड़ी घुमावदार रास्तों में घुमते हुए दिखाई देने लग जाती है। पहाड़ी नजारों में चार चांद लगाने का काम करती हैं ये टॉय ट्रेनें, जिनमें कम से कम एक बार सफर हर व्यक्ति करना चाहता है। पर बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने कभी टॉय ट्रेन को देखा तक नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग अलग कारणों से रेलवे ने इन ट्रेनों का परिचालन बंद किया है। पहले लगभग देश भर के कई हिस्सों में ये ट्रेनें चलती थीं, लेकिन अब केवल कुछ पहाड़ी रास्तों में ही इनका परिचालन जारी है। खैर अब सैलानियो की बढ़ती संख्या व मांग को नजर रखते हुए भारतीय रेलवे ने अपनी तीन नई ट्राय ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। ऐसा 118 साल बाद होगा जब देश में नई टॉय ट्रेनें चलाई जाएंगी।

toy-train - Darjeeling Himalayan Railway to resume toy train services from  Dec 25 - Telegraph India

भारत में 118 सालों के बाद रेलवे प्रशासन के द्वारा नई टॉय ट्रेनों का परिचालन शुरु किया जाएगा। इन ट्रेनों का परिचालन हिमाचल प्रदेश में किया जाएगा। पिछले 118 सालों से भारत में भारतीय रेलवे ने अपनी एक भी ट्राय ट्रेने नहीं चलाई है। इस समय देश में पाँच ट्राय ट्रेनें चलाई जाती हैं। जो टॉय ट्रेनें अभी चल रही हैं वे आजादी के पहले से संचालित हैं और वे अंग्रेजो द्वारा शुरु की गई थीं। अब इस साल ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि भारतीय रेलवे अपनी स्वयं की टॉय ट्रेन संचालित करने जा रहा है। इस साल के अंत तक इसकी शुरुआत हो जाएगी।

ये सुविधायें बनाएंगी इन ट्रेनों को खास

प्राप्त जानकारी के अनुसार नई टॉय ट्रेनों के लिए नई जनरेशन के 30 एल.एच.बी. कोच बनाए जाएंगे। ये नए कोच दो तरह के होंगे जिनमें कुछ पूरी तरह एयर कंडिशंड होंगे वहीं कुछ नॉन एयर कंडिशंड। नए एसी कोचों में 180 डिग्री रोटेटेबल चेयर सीट और सामान्य कोच में फ्लिप टाइप सीटिंग की व्यवस्था होगी। इसके अलावा सभी कोच सीसीटीवी, यात्री घोषणा प्रणाली, यात्री सूचना प्रणाली और सिंक-इन एलईडी बोर्ड से लैस होंगे।

आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित होंगे कोच

प्राप्त जानकारी के अनुसार नए कोचों में सीटों को इस तरह से लगाया जाएगा कि यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार कोच में उनकी व्यवस्था को बदला जा सके। नई ट्रेनों में डिब्बे पारदर्शी होंगे, जिनकी छत में ग्लेज़िंग (वीएलटी), कांच की खिड़कियां, बाय-फोल्डेबल दरवाजे, फ्लोटिंग फ्लोर, सौंदर्यपूर्ण बनावट वाले आंतरिक फाइबरग्लास-पैनल और एलईडी होंगे।

इन जगहों पर चलती हैं टॉय ट्रेन

वर्तमान में देश में पाँच ट्राय ट्रेनें संचालित हैं, इनमें कालका-शिमला, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कांगड़ा वैली, नीलगिरि माउंटेन और माथेरान हिल रेलवे शामिल हैं। ये सभी पांच पर्यटक ट्रेनें हिल स्टेशन से एक मैदानी क्षेत्र को जोड़ने वाली नैरो गेज लाइन पर चलती हैं। इन ट्रेनों का मुख्य उद्देश्य पर्यटकों को घूमाने का है। आमतौर पर इन ट्रेनों में सामान्य सड़क यात्रा की तुलना में अधिक समय लगता है। इसलिए स्थानीय लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते हैं। इन ट्रेनों की मांग छुट्टियों के समय काफी बढ़ जाती है। इ वहीं कुछ ट्रेनें अभी भी भाप से चलने वाले लोकोमोटिव से संचालित की जाती हैं जो पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण होता है।

India moves to patent the over century-old logos of Darjeeling's 'Toy Train'  | India News,The Indian Express

इन पांच टॉय ट्रेनों के अलावा, कुछ और ट्रेनें हैं, जो खूबसूरत जगहों से होकर गुजरती हैं, लेकिन इन्हें टूरिस्ट ट्रेनों में नहीं गिना जा सकता है। क्योंकि इन ट्रेनों का उपयोग सभी सामान्य रुप से करते हैं। जबकि टॉय ट्रेन केवल पर्यटक स्थलों से होकर गुजरती हैं। इन गाड़ियों को कई भारतीय फिल्मों में दिखाया गया है। राजेश खन्ना का मशहूर गाना ‘मेरे सपनों की रानी’ पूरी तरह से टॉय ट्रेन पर ही फिल्माया गया है। बहरहाल इन ट्रेनों के संचालन में कई अड़चनें मौजूद हैं। इनमें से कुछ ट्रेनों में आज भी ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा नहीं है तो वहीं कुछ में यात्रियों के लिए पर्याप्त सुविधाओं की कमी है। अब भरतीय रेलवे के द्वारा नई ट्रेनों के संचालन की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेने के बाद इस दिशा में सकारात्मक बदलाव की उम्मीदें जगी हैं।